झारखंड में डिप्टी कलेक्टर के 50 पदों पर नियुक्ति की पक्रिया चल रही 17 साल से, रिटायरमेंट की उम्र में पहुंचे उम्मीदवार

झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) की अजब कहानी है। यहां डिप्टी कलक्टर के 50 पदों पर नियुक्ति की एक परीक्षा की प्रक्रिया पिछले 17 सालों से चल रही है। परीक्षा में शामिल कई उम्मीदवार रिटायरमेंट की दहलीज पर पहुंच चुके हैं।

परीक्षा का रिजल्ट अगर आज भी निकल जाये तो कई उम्मीदवार ऐसे होंगे, जिनकी नियुक्ति महज साल-दो साल के लिए हो पायेगी। पिछले 17 वर्षों में इस परीक्षा का मामला जेपीएससी से लेकर निगरानी ब्यूरो औरहाईकोर्ट से लेकर राजभवन के गलियारों की सैर कर चुका है, लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया है।

इस परीक्षा की कहानी वर्ष 2005 से शुरू होती है। जेपीएससी ने प्रथम सीमित उपसमाहर्ता परीक्षा के लिए विज्ञापन निकाला था।

इसकी तहत डिप्टी कलक्टर के कुल 50 पदों पर नियुक्ति की जानी थी। इस नियुक्ति परीक्षा के लिए झारखंड सरकार या दूसरे सरकारी कार्यालयों में काम करनेवाले कर्मचारी-शिक्षक आवेदन कर सकते थे। आठ हजार से भी ज्यादा सरकारी कर्मियों ने आवेदन किया। 23 अप्रैल 2006 को रांची के 14 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित हुई। लेकिन, जैसा कि जेपीएससी की हर परीक्षा की कहानी है, उस परीक्षा में भी जबर्दस्त गड़बड़ी उजागर हुई।

तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के आदेश पर गड़बड़ियों की जांच निगरानी विभाग को सौंपी गयी। यह मामला उच्च न्यायालय में भी गया। न्यायालय ने निर्णय का अधिकार राज्यपाल के पास छोड़ दिया। परीक्षा होने के 6 साल बाद 12 जून 2013 को राज्यपाल के आदेश पर परीक्षा रद्द कर दी गयी।

इसके बाद सरकार ने फिर से परीक्षा कराने का आदेश दिया। जेपीएससी ने दुबारा 29 अप्रैल 2017 को परीक्षा लेने का एलान किया, लेकिन एन वक्त पर इसे स्थगित कर दिया गया। तीन साल फाइलों में मामला दौड़ता रहा।

जेपीएससी ने आखिरकार दूसरी बार परीक्षा 3 जनवरी 2020 को आयोजित की। इस परीक्षा के प्रश्नपत्र का मॉडल आंसरशीट 10 जनवरी को जारी किया गया। प्रश्नपत्र के साथ-साथ आंसरशीट में कई गड़बड़ियां सामने आयीं। परीक्षार्थियों ने अनियमितता की शिकायतें की। इसके बाद जेपीएससी ने 24 दिसंबर 2020 को फिर से संशोधित मॉडल आंसरशीट जारी किया। इसके बाद लगभग डेढ़ साल गुजर गये, जेपीएससी ने इसका रिजल्ट जारी नहीं किया।

इधर मामला एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंचा। बीते बुधवार को इसपर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने इस परीक्षा पर आयोग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई अब दस मई को होनी है।

इस परीक्षा को लेकर विधानसभा में भी सवाल उठे हैं। पिछले साल झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दीपक बिरुआ ने सदन में यह मामला उठाया था तो मंत्री आलमगीर आलम ने जवाब दिया था कि 60 दिनों के अंदर रिजल्ट प्रकाशित हो जायेगा। यह डेडलाइन कब की गुजर गयी। रिजल्ट का अता-पता नहीं।

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