छत्तीसगढ़ में धुर नक्सली इलाके के बच्चे फिर स्कूलों में जाकर पढ़ाई कर सकेंगे, क्योंकि डेढ दशक से बंद 260 स्कूलों में फिर पढाई शुरू जो होने जा रही है। इन विद्यालयों में फिर घंटी सुनाई देने लगेगी। इतना ही नहीं जहां पहले गोलियांे की आवाज सुनाई देती थी वहां अब वर्णमाला के अक्षरों की अनुगूंज गूंजेगी।
बस्तर संभाग के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में बीते डेढ दशक से बंद स्कूलों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल के बाद फिर से शुरू किया गया है। बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के ये ऐसे स्कूल हैं, जिनके भवन नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिये थे।
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राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव के अवसर पर गुरुवार को मुख्यमंत्री बघेल द्वारा इन स्कूलों को फिर से खोले जाने की घोषणा की गयी। इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्कूलों के खुलने से शिक्षा की बुनियाद मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि जहां गांव में पहले गोलियों की आवाज आती थी अब अक्षर ज्ञान की आवाज आती है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सल हिंसा की वजह से पिछले 15-20 सालों से 400 स्कूल बंद पड़े हुये हैं। इन स्कूलों के बंद होने से दूरस्थ एवं जनजाति क्षेत्रों के आदिवासी बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। अब इन क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाने की पहल हुई है।
बताया गया है कि इस शिक्षा सत्र से 260 स्कूलों को खोला गया है। जिनमें बीजापुर में 158, सुकमा में 97, नारायणपुर में 4 और दंतेवाड़ा में एक स्कूल शामिल है। इन स्कूलों से 11 हजार 13 विद्यार्थियों को शिक्षा सुलभ होगी। इन 260 स्कूलों में सफल संचालन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। इन स्कूलों में शिक्षा दूत के साथ शिक्षक अपनी सेवाएं देंगे।