कोरोना वायरस टीके को वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाएं

बीजिंग, – विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़ों के अनुसार अभी दुनिया में कोरोना वायरस के 140 से अधिक टीकों का अनुसंधान हो रहा है, जिनमें 28 का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हो चुका है। इन 28 टीकों में 6 का क्लिनिकल परीक्षण अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के टीके का अनुसंधान सरपट दौड़ रहा है।

अब क्लिनिकल परीक्षण में तमाम उपलब्धियां हासिल हो रही हैं। रूस ने स्पुतनकि-5 नामक टीके का उत्पादन पूरा किया, जो दुनिया में पहली कोरोना वायरस वैक्सीन है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने हाल में कहा कि उनकी बेटी ने यह टीका लगाया है। वहीं डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अब इस टीके की विश्वसनीयता साबित नहीं हुई है।

इसके बावजूद करीब 20 देश स्पुतनकि-5 वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं या इसके उत्पादन और बिक्री में सहयोग करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में आशा जताई कि रूस का टीका कारगर होगा। अमेरिका भी शीघ्र ही अपना टीका लांच करेगा।

उधर, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा कि भारत के तीन टीके भिन्न-भिन्न परीक्षणों में प्रवेश हो चुके हैं। विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा इसकी सुरक्षा साबित करने पर ये टीके बाजार में आएंगे।

चीन की ²ष्टि से देखा जाए, चीनी सैन्य विज्ञान अकादमी के बायोइंजिनियरी संस्थान और चीनी कंपनी केसिनो बायोलॉजिक्स द्वारा संयुक्त रूप से विकसित टीके को पेटेंट राइट मिल चुका है। यह चीन का पहला कोरोना वायरस टीके का एकाधिकार है। इसके पहले और दूसरे क्लिनिकल परीक्षण में टीके की सुरक्षा और कारगरता साबित हुई है। अब चीनी टीके के तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण हो रहा है।

वहीं चीनी राष्ट्रीय औषधि समूह निगम के वुहान जैविक उत्पाद संस्थान और चीनी विज्ञान अकादमी के वुहान वायरस अनुसंधान संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित टीके की सुरक्षा और कारगरता भी साबित हो चुकी है। आशा है कि चीन के टीके इस साल के अंत में या अगले साल के शुरू में बाजार में मिलेंगे।

हम जानते हैं कि वैक्सीन कोविड-19 महामारी की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है, लेकिन टीके का अनुसंधान लंबा, जटिल और खतरे से भरा है। दुनिया को विभिन्न प्रकार के टीकों की जरूरत है, ताकि महामारी की सफल रोकथाम में ज्यादा अवसर मिल सके। यह निश्चित है कि टीके का अनुसंधान पूरा होने के बाद मांग अवश्य ही आपूर्ति से अधिक होगी।

इसलिए दुनिया के एकजुट होने और सार्वजनिक विभागों की भागीदारी होने पर ही टीके का उचित वितरण सुनिश्चित होगा।

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