ओमिक्रॉन वैरिएंट सामने आने के बाद दुनियाभर के देशों में कोरोना के मामले रोज तेजी से बढ़ रहे हैं। अमेरिका पस्त हो चुका है। राष्ट्रपति जो-बाइडन ने पिछले हफ्ते पहली बार माना कि महामारी के कारण अमेरिकी निराश हो गए हैं। उधर फ्रांस व जर्मनी में भी कोरोना के रेकॉर्ड टूट रहे हैं। ब्रिटेन में जरूर पीक गुजर चुका, लगता है।जिसकी वजह से वहां कुछ पाबंदियां हटाई गई हैं।
ब्रिटेन ने बड़ा कदम उठाते हुए गंभीर कोरोना वायरस लहर से कुछ राहत पाई है, इसलिए ओमिक्रॉन वैरिएंट के बाद लगाई गए अतिरिक्त पाबंदियां हटाने का एलान किया है। इसी तरह उत्तरी आयरलैंड ने भी आइसोलेशन की अवधि सात दिन से घटाकर पांच दिन कर दी है।
जबकि दूसरी तरफ़ ब्राजील में नए मामलों में तेज़ी दिखी तो वहीं न्यूजीलैंड में ओमिक्रॉन का सामुदायिक संक्रमण सामने आ रहा है। वहां नए सिरे से पाबंदियां भी लगाई गई हैं।चेकस्लोवाकिया में नई सरकार ने अनिवार्य टीकाकरण से राहत दे दी है, ताकि समाज में इसे लेकर पनप रहा विभाजन व विरोध खत्म किया जा सके।
अगर भारत की बात करें तो, डब्ल्यूएचओ के मुताबिकर पिछले एक सप्ताह में भारत में कोरोना के मामलों में 150 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत में कोरोना के मामलों में सर्वाधिक वृद्धि भारत में हुई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के प्रारंभिक विश्लेषण में पाया गया है कि देश में संक्रमण की तीसरी लहर के आगामी पखवाड़े में चरम पर पहुंचने की संभावना है। विश्लेषण के मुताबिक़ , कोरोना वायरस का चरम छह फरवरी तक आगामी 14 दिन में आ जाएगा।
लेकिन, इन सब के बावजूद दुनिया भर में ये कोशिश लगातार हो रही है कि इस महामारी से देश की अर्थव्यवस्था को बचाया जाए। देश को पटरी पर लाने के लिए जहां सरकार हर उद्योग के लिए नीतियों में बदलाव कर रही है वहीं नए- नए तरीक़े भी अपनाए जा रहे हैं। मालूम हो कि कोरोना से विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी उद्योग को नुक़सान हुआ है तो वो है पर्यटन उद्योग।
कोरोना की चपेट में आकर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पूरी तरह से बंद है। बमुश्किल पिछले साल कोरोना की मार के बाद पर्यटन उद्योग वापस अपने पैरों पर खड़ा हुआ था, लेकिन अब ओमिक्रॉन की लहर ने एक बार फिर पर्यटन उद्योग को झकझोर दिया है। इसके बावजूद हर देश इस संकट में भी इस उद्योग को बंद करने के मूड में नहीं है। हालाँकि, ये स्थिति दोनों तरफ़ है, जहां महामारी से उद्योग को कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ा रहा है वहीं, पर्यटक भी घर बैठकर संयम खोते जा रहे हैं।
ऐसा कुछ नजारा भारत के पहाड़ी राज्यों में देखने को मिल रहा है। जहां पर्यटकों का छुट्टी मनाने के लिए टूट पड़ना सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए मुसीबत बना हुआ है। ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले की वजह से नियमों की अनदेखी के बाद सख्ती की जा रही है , लेकिन लोगों को अपना व्यवहार बदलने को राज़ी नहीं दिखते। मालूम हो कि भारत के पर्यटन स्थलों के प्रचार प्रसार के लिए हर साल 25 दिसंबर को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है।भारत सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए पर्यटन दिवस मनाने का फैसला लिया। क्योंकि पर्यटन से करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है तो वहीं देश की जीडीपी में भी बढ़ोतरी होती है।
हालाँकि ऐसा मामला सिर्फ़ भारत में ही नहीं है। कई यूरोपीय देशों में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। जहां सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त कर पर्यटकों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं।उनमें से सबसे आगे स्पेन और दुबई जैसे देश हैं जहां पर्यटन को लेकर तरह तरह के डिजिटल माध्यम से आयोजन किए जा रहे हैं ताकि पर्यटकों को जागरुक किया जा सके।
हाल ही में सद्भावना टुडे के ख़ास टॉक शो “इंस एंड आउट विद् एंबेसेडर : हियर, देयर, एभरीव्हेयर विद् सिद” में भारत में स्पेन के राजदूत होसे मारिया रिदाओ ने इस बात की पुष्टि भी की। उन्होंने बताया कि कई बार दूरगामी लक्ष्य को भूल कर वर्तमान की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। इसलिए हमारी नीति में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुआ है, लेकिन वर्तमान की स्थिति को भी प्राथमिकता दी गई है। इसीलिए हमारे पास पर्यटकों की सुरक्षा के साथ-साथ देने लिए लंबी लिस्ट है। और खास तौर पर उनकी स्वास्थ सुरक्षा को लेकर हम काफी सजग हैं।
साथ ही राजदूत होसे मारिया रिदाओ ने कहा, “आज के दौर में रूरल टूरिज़्म का बहुत महत्व है। गांवों में भी पर्यटन व्यवसाय के लिए स्पेन सरकार ने एक ग्रामीण विकास का मॉडल तैयार किया है।खासकर के सेंट्रल स्पेन के लिए जहां घनी आबादी नहीं है।वो ऐसे इलाके हैं जहां कई इलाके वीरान पड़ें हैं और वहां से लोगों ने शहरों की तरफ पलायन कर लिया है।और हमारी सरकार इन इलाकों को पर्यटन के लिए विकसित करने का प्लान बनाया है। हालांकि इन इलाकों को सिर्फ पर्यटन के लिए ही विकसित नहीं होगा बल्कि एक संपूर्ण विकास का प्लान बनाया गया है ताकि अन्य तरह के रोजगार भी पैदा हो सके।”
फ़रवरी २०२२ में आयोजित होने वाले “मैड्रिड टूरिज़्म फ़ेस्टिवल” को लेकर भी स्पेन सरकार काफ़ी ज़ोर शोर से तैयारी में जुटी है। इस सिलसिले में बातचीत के दौरान राजदूत रिदाओ ने कहा, “मैं समझता हूं कि ये थोड़ा जोखिम भरा है।लेकिन, वायरस के लक्षण को देखते हुए कुछ भी संभव है।फ़िलहाल सभी पार्टनर देश काफी जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं।और मुझे पूरी उम्मीद है कि मैड्रिड टूरिज्म फेस्टीवल सफलता पूर्वक आयोजित होगा। क्योंकि हमारे पास पूरी तैयारी और सुविधा है।इससे सभी देशों को अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। लेकिन, इसे अगर ऑनलाइन भी करना पड़े या किसी अन्य तरीके को अपनाना पड़े तो हम करेंगे और सफलता पूर्व आयोजित करेंगे।”
ऐसे में कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस संकट की घड़ी में हर देश जहां स्वास्थ्य व्यवस्था और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं, वहीं अर्थव्यवस्था की गति को भी बनाए रखने के लिए कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है।
-डॉ. म. शाहिद सिद्दीक़ी ,
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