मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक व दिग्ग्ज अभिनेता कमल हासन ने हिंदी को ‘थोपने’ के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए सोमवार को कहा कि यह दशकों पहले देश से किया गया एक वादा था, जिसे ‘किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए.’ कमल हासन ने अपनी टिप्पणी में साफ तौर पर गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान की तरफ इशारा किया है, जिसमें उन्होंने देश में एक साझी भाषा के तौर पर हिंदी की वकालत की थी.
कमल हासन ने कहा, ‘विविधता में एकता का एक वादा है, जिसे हमने तब किया था जब हमने भारत को एक गणतंत्र बनाया था. अब, उस वादे को किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी.’ कमल हासन ने कहा कि भारत विभिन्न व्यंजनों से भरी शानदार थाली के समान है, हमें इसका मिलकर लुत्फ उठाना चाहिये और किसी एक व्यंजन (हिंदी) को थोपने से इसका जायका बिगड़ जाएगा, कृपया ऐसा नहीं करें.
देश के राष्ट्रगान का जिक्र करते हुए कमल हासन ने कहा कि यह एक ऐसी भाषा (बंगाली) में लिखा गया था जो अधिकांश नागरिकों की मातृभाषा नहीं है, अधिकांश देशवासी खुशी के साथ बंगाली में अपने राष्ट्रगान को गाते हैं और वे ऐसा करते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘इसका कारण कवि (रवींद्रनाथ टैगोर) हैं जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा था, जिसमें उन्होंने सभी भाषाओं और संस्कृति को उचित सम्मान दिया और इसलिए, यह हमारा राष्ट्रगान बन गया.’ उन्होंने कहा कि समावेशी भारत को एक अलग तरह का देश बनाने की कोई कोशिश नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इस तरह की अदूरदर्शिता की वजह से सभी को नुकसान होगा.
अमित शाह के हिंदी दिवस पर दिए गए बयान की द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरमैया सहित कई अन्य विपक्षी नेता भी आलोचना कर चुके हैं. अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा था कि आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है.