कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर चलाया फर्जी खबरें रोकने का अभियान

नई दिल्ली, 28 मार्च| चुनाव से पहले फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, शेयरचैट और गूगल जैसी सोशल मीडिया इकाइयों द्वारा अपनाया गया नैतिकता का स्वैच्छिक कोड दर्शाता है कि नकली समाचारों और गलत सूचनाओं से लोगों को चुनावों में भ्रमित करने का सिलसिला चरम पर है।

इसी का संज्ञान लेते हुए कांग्रेस ने ‘हैशशूटदीफेकअप’ नाम का अभियान शुरू किया है। कांग्रेस के सोशल मीडिया रणनीतिकार ने इस अभियान के बारे में बताते हुए कहा कि आज मीडिया का भी राजनीतिकरण हो चुका है। विगत वर्षो में मीडिया की सच्चाई, निष्पक्षता व विषय निर्धारण को लेकर प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं। चुनावों के दौरान नकली समाचारों की बाढ़ सी आ गई है। इसलिए कांग्रेस का यह अभियान जन संचार के माध्यमों द्वारा किए जा रहे उन भ्रामक प्रचारों का जवाब है जो की समाज में विद्वेष व अशांति को बढ़ावा दे रहे हैं।

कांग्रेस सोशल मीडिया टीम के अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि ‘हैशशूटदीफेकअप’ पहल उन सभी समाचारों को आपके सामने लेकर आएगा जो किसी विशेष विचारधारा या व्यक्ति का प्रचार करते हैं और चुनावों के दौर में किसी विशेष राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाते हैं।

उन्होंने कहा कि जनता में व्याप्त रोष को यह अभियान एक उत्तम मंच प्रदान कर रहा है। खासकर, युवा वर्ग इस अभियान को अधिक पसंद कर रहा है। यह अभियान प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व वेब सहित सभी मीडिया आयामों का तथ्यपरक विश्लेषण करता है।

उन्होंने कहा कि इस अभियान का टीजर सोशल मीडिया पर लॉन्च होते ही लोगों ने अपने वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिया, जिसके चलते यह अभियान कुछ ही समय में युवा वर्ग में लोकप्रिय हो गया। इस अभियान की लोकप्रियता का अंदाजा ट्विटर पर युवाओं की टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। कांग्रेस के सोशल मीडिया रणनीतिकार ने सबूत के तौर पर ट्विटर की एक क्लिपिंग भी पेश की।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की सोशल मीडिया ने देशभर में इस अभियान को लोकप्रिय बनाने के लिए हजारों की संख्या में लोगों के वीडियो एकत्रित किए हैं, जिन्हें जल्द ही जनता के समक्ष रखा जाएगा।

लोकसभा चुनाव में अब चंद दिन ही बाकी रह गए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा, कांग्रेस के इस आक्रामक अभियान का जवाब किस रूप में देती है। इसी दौरान भाजपा की ओर से अभियान के प्रति किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं आई है। आलोचक इसे एक सोची-समझी रणनीति के रूप में देख रहे हैं।

 

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