कांग्रेस अध्यक्ष को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक के न्यासी के तौर पर हटाने से संबंधित एक विधेयक शुक्रवार को गरमागरम बहस के बाद लोकसभा में पारित हो गया। इस दौरान विपक्ष ने सरकार पर इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
विधेयक को 214 सदस्यों का समर्थन मिला, जबकि कांग्रेस, आरएसपी, राकांपा, टीएमसी और डीएमके सहित विपक्ष द्वारा किए गए बहिर्गमन के बाद 30 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। लोकसभा में पारित होने के बाद कानून बनने से पहले विधेयक को राज्यसभा में भी पारित होना होगा।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक-2019 को पारित करने के दौरान कहा कि सरकार ने यह कदम इस ऐतिहासिक स्थल को राजनीतिक स्मारक की जगह राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए उठाया है।
उन्होंने कहा, संस्थान का राजनीतिकरण नहीं, बल्कि राष्ट्रीयकरण होना चाहिए।
पटेल ने अपने समापन भाषण में कहा कि कांग्रेस ने पिछले 40-50 वर्षों में स्मारक के लिए कुछ भी नहीं किया है। उन्होंने कहा, कोई भी राजनीतिक दल जलियांवाला बाग स्मारक जैसे ट्रस्ट पर दावा नहीं कर सकता।
इस विधेयक के अनुसार, ट्रस्टी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाकर लोकसभा में विपक्ष के नेता को ट्रस्टी बनाया जाना है।
इस मसौदा कानून में यह प्रावधान है कि अगर विपक्ष का कोई नेता नहीं है तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को ट्रस्टी बनाया जाएगा।
यह कदम नरसंहार के शताब्दी समारोह के दौरान उठाया गया है। ब्रिटिश सैनिकों ने 12 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में निहत्थे लोगों की शांतिपूर्ण सभा पर गोलीबारी की थी।
इससे पहले इस विधेयक को 16वीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा द्वारा इसे खारिज कर दिया गया था।
सदन में इस विधेयक पर करीब तीन घंटे तक बहस चली। इस दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी मौजूद नहीं थीं।
विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार पर इतिहास से कांग्रेस को हटाने की कोशिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने स्मारक के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई है।
इसके अलावा द्रमुक के दयानिधि मारन और राकांपा की सुप्रिया सुले ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। वहीं टीएमसी के सौगत राय ने भी ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष का नाम हटाने से संबंधित विधेयक का विरोध किया।
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल इसमें बतौर ट्रस्टी शामिल हैं।