करण जौहर इन दिनों अपने शो के नए सीजन 8 के लिए कॉफी विद करण को लेकर सुर्खियों में हैं. चैट शो के पहले मेहमान रणबीर सिंह और दीपिका पादुकोण थे जो इन दिनों अपने टॉक्सिसेस रिलेशनशिप को लेकर चर्चा में हैं. कई लोगों ने करण जौहर के शो को कलेश विद करण करार दिया है. इसी बीच बॉलीवुड डायरेक्टर ने साउथ सिनेमा के खिलाफ बातें हैं.
वैसे पहले भी करण जौहर कई बार अपनी बात कहने के लिए सुर्खियां बटोर चुके हैं. मालूम हो कि इससे पहले, फिल्म बिरादरी के कई लोगों ने उन फिल्मों के बुरे दौर पर अपने विचार साझा किए थे जो लंबे समय तक बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलीं और इसे बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है. अब करण जौहर ने इस पर अपने विचार साझा किए हैं और साउथ के खिलाफ बयानबाजी की है.
हाल ही में एक साक्षात्कार में करण जौहर से इसके बारे में पूछा गया और toxic masculinity को बढ़ावा देने वाली बॉलीवुड फिल्मों में ‘महिला विरोधी’ (misogyny) पर उनके विचार पूछे गए. फिल्म निर्माता ने उसी को संबोधित किया और कहा कि वो और अन्य फिल्म निर्माता नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं और बिना सिर वाले मुर्गियों की तरह इधर-उधर घूम रहे हैं. केजेओ ने केजीएफ और पुष्पा जैसी दक्षिण फिल्मों का नाम लिया और कहा कि वे दक्षिण सिनेमा से सभी गलत सबक सीख रहे हैं. उन्होंने उद्योग में हिंदी फिल्म स्टार्स के विकास के बारे में बात की.
निखिल तनेजा के वी आर युवा यूट्यूब चैनल (You tube) के साथ अपने साक्षात्कार के दौरान, जब करण जौहर से कबीर सिंह (Film Kabir Singh) जैसी फिल्मों के बारे में पूछा गया, जो कथित मर्दानगी को महिला विरोधी एक हथियार की तरह पेश करती हैं, तो करण जौहर ने कहा कि यह मूल रूप से हिंदी फिल्म नहीं है. यह साउथ से आया विचार है जिसे हिंदी में बनाया गया है और ये फिल्म साउथ की अर्जुन रेड्डी की रीमेक है. हिंदी के मेकर इस तरह से नहीं सोचते.