ऑक्सीजन के मामले में मप्र बन रहा है आत्मनिर्भर

मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सामने आई कमियों को दुरुस्त करने की कोशिशें जारी है, आक्सीजन के मामले में राज्य को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

राज्य में वर्तमान में 45 हजार लिटर ऑक्सीजन बनाने की क्षमता विकसित हो चुकी है।

राज्य में कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य अधोसंरचना में सबसे बड़ी कमी मेडिकल ऑक्सीजन की सामने आई थी।

भविष्य में प्रदेशवासियों को उपचार में ऑक्सीजन की कमी हो इसे ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जा रहे है। प्रदेश में स्थापित किये जा रहे 190 ऑक्सीजन प्लांट में से 88 प्लांट काम करने लगे हैं।

ज्ञात हो कि कोरोना की दूसरी लहर के समय अन्य प्रांतों से ऑक्सीजन लाकर कमी को दूर किया गया था।

इसमें भारतीय सेना के वायुयान, हैलीकाप्टर, रेल के साथ सड़क मार्ग से टैंकरों द्वारा ऑक्सीजन में लाई गई। यह राज्य के लिए बहुत मुश्किल परिस्थितियाँ थी।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में ही ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो जाने से अब ऑक्सीजन आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

हमारा प्रयास है कि सभी जिला मुख्यालयों सहित तहसील स्तर पर भी ऑक्सीजन प्लान्टस लग जाए। जहाँ ऑक्सीजन प्लांटस नहीं लगे हैं, वहाँ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करवाये गये हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्रीय मंत्रियों के सहयोग से मध्यप्रदेश को समय पर ऑक्सीजन की उपलब्धता होती रही। इससे हम प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने में सफल रहे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्थापित हो रहे 190 ऑक्सीजन प्लांट में से 102 प्लांट केन्द्र सरकार के सहयोग से लग रहे हैं। संभावना इस बात की है कि सितम्बर माह के अंत तक सभी 190 प्लांटस काम करना शुरू कर देंगे। इस दिशा में प्रयास जारी है।

मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि सभी के मिले-जुले प्रयासों से वर्ष 2021 मध्यप्रदेश के ऑक्सीजन उत्पादन में आत्म-निर्भर के लिए भी याद किया जाएगा। प्रदेश में आज की स्थिति में 190 ऑक्सीजन प्लांटस स्थापित होना, अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

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