भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठकों में प्रमुख ब्याज दर में कटौती का संकेत देते गुरुवार को कहा कि रेपो रेट को यथावत रखने के फैसले को भावी कदम के सूचक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक बदलते हालात और जरूरतों के मुताबिक आने वाले दिनों में फैसला लेगा।
समायोजी रुख बरकरार रखते हुए उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मानना है कि भविष्य में नीतिगत फैसले लेने के लिए मौके उपलब्ध हैं।
महंगाई की ऊंची दरों को काबू करने के मद्देनजर एमपीसी ने रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार रखा है और रिवर्स रेपो रेट 4.9 फीसदी रखा गया है।
रेपो रेट वह नीतिगत प्रमुख ब्याज दर है जिस पर छोटी अवधि के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को ऋण मुहैया करवाया जाता है। इसके विपरीत वाणिज्यिक बैंकों की जमा पर आरबीआई जिस दर पर ब्याज देती है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखते हुए समायोजी रुख अख्तियार करने के संदर्भ में दास ने यहां संवाददाताओं से कहा, इसे मौद्रिक नीति समिति के भविष्य के कदम के सूचक के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। मौद्रिक नीति समिति बदलती परिस्थितियों और उचित समय पर जरूरी कदमों के अनुसार फैसले लेती है।
आरबीआई ने लगातार दूसरी बार नीतिगत प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले पांच मौद्रिक समीक्षा बैठकों के दौरान रेपो रेट में 135 आधार अंकों की कटौती की गई।
आरबीआई ने एक बयान में कहा, एमपीसी ने यह भी फैसला लिया कि महंगाई दर को लक्ष्य के अधीन रखते हुए आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करने के लिए जहां तक आवश्यक होगा समायोजी रुख बरकरार रखा जाएगा। ये फैसले आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देते हुए मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई लक्ष्य चार फीसदी से दो फीसदी ऊपर या नीचे प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं।