विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि ऐसी कोई भी उम्मीद अब तर्कसंगत नहीं है कि संघर्ष और आतंकवाद को उनके प्रभाव में शामिल किया जा सकता है. नई दिल्ली में कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, एस जयशंकर ने दुनिया में भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर विचार करते हुए कहा कि मध्य पूर्व में जो हो रहा है उसका असर अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है.
विदेश मंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का हवाला देते हुए कहा कि वैश्वीकृत दुनिया में विभिन्न संघर्षों के परिणाम तात्कालिक भौगोलिक क्षेत्रों से कहीं अधिक दूर तक फैले हुए हैं. उन्होंने आगे कहा, “अलग-अलग क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं, जिनका प्रभाव निश्चित तौर पर होता है. इसका एक कम औपचारिक संस्करण भी है जो बहुत व्यापक है. मैं आतंकवाद के बारे में बात कर रहा हूं, जिसे लंबे समय से राजकाज के हथियार के रूप में विकसित और प्रचलित किया गया है.”
विदेश मंत्री ने कहा, “हम सभी के लिए मूल उपाय यह है कि हमारे अस्तित्व की निर्बाधता को देखते हुए, कोई भी उम्मीद कि संघर्ष और आतंकवाद को उनके प्रभाव में शामिल किया जा सकता है, अब तर्कसंगत नहीं है.” उन्होंने आगे कहा, “इसका एक बड़ा हिस्सा स्पष्ट रूप से आर्थिक है, लेकिन जब कट्टरपंथ और उग्रवाद की बात आती है तो मेटास्टेसिस के खतरे को कम मत आंकिए.”