गाजीपुर (यूपी) : दैवीय आपदाओं से फसलों के नष्ट होने पर क्षति-पूर्ति के लिए अब गैर ऋणी किसानों को पछताना नहीं पड़ेगा। यही नहीं उन्हें फसलों का बीमा कराने के लिए लंबी प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना पड़ेगा।
सिर्फ शपथ- पत्र पर खेती योग्य भूमि व फसलों की जानकारी देने के साथ प्रीमियम का भुगतान कर लाभ उठाया जा सकता है। अधिक से अधिक किसानों को इससे लाभांवित करने के लिए कृषि विभाग की ओर से कवायद शुरू कर दी गई है।
खसरा-खतौनी से लेकर लेखपाल की रिपोर्ट व कागजातों के तामझाम के चलते गैर ऋणी किसान फसलों की बीमा कराने में रुचि नहीं लेते थे। दैवीय आपदा से प्रभावित होने पर भाग्य का खेल समझकर संतोष कर लेते थे। उन्हें आर्थिक रूप से हो रही क्षति को देखते हुए शासन की ओर से प्रक्रिया को आसान बनाने का काम किया है।
इसके तहत उन्हें अब सिर्फ एक शपथ-पत्र पर खेती योग्य भूमि का जिक्र करते हुए खरीफ व रबी के मौसम में बोआई की जाने वाली फसलों की जानकारी देनी होगी। इसके बाद बैंक, बीमा कंपनी व कृषि विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी उनसे प्रीमियम लेकर फसलों को बीमित करने का काम करेंगे।
यहां कर सकते हैं संपर्क
गैर ऋणी किसान अपनी फसलों की बीमा कराने के लिए क्षेत्र में स्थित यूबीआई व एबीआई बैंक के अलावा कृषि विभाग की ओर से ब्लाक में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों से भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा विभाग से जुड़े बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से मिलकर प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ उठाया जा सकता है। यही नहीं कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से फसलवार कटौती होने वाली प्रीमियम की भी जानकारी ली जा सकती है।
तीन लाख हैं गैर ऋणी किसान
जनपद में चार लाख आठ हजार किसान करीब दो लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि पर खेती करके अपनी जीविका चलाते हैं। इसके करीब एक लाख चार के आस-पास किसान किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए ऋण लेकर खेती करते हैं, जबकि तीन लाख से अधिक किसान बिना ऋण लेकर ही खेती करने का काम करते हैं। इन्हें फसल बीमा से लाभांवित करने के लिए बीते कुछ माह पूर्व कृषि विभाग की ओर से ब्लाकवार कैंप का आयोजन किया गया था, लेकिन मात्र 1600 किसानों ने ही बीमा कराया था। ऐसे में प्रक्रिया आसान होने से गैर ऋणी किसानों की संख्या बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
जनपद के गैरऋणी किसानों को फसल बीमा योजना से लाभांवित करने के लिए शासन की ओर से प्रक्रिया को आसान कर दिया गया है। जहां लेखापाल की रिपोर्ट व तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में अब वे शपथ-पत्र पर खेती योग्य भूमि व फसलों की जानकारी देकर योजना का लाभ आसानी से उठा सकते हैं।