लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग चरणों में वोटिंग का दौर जारी है और नतीजे 4 जून को आएंगे, मगर मतदान से पहले ही भाजपा ने एक सीट जीत ली है. सूरत सीट से भारतीय जनता पार्टी निर्विरोध तौर पर जीत गई है. कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने और अन्य सभी प्रत्याशियों के अपने नामांकन वापस लेने के बाद गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर सूरत में कांग्रेस कैंडिडेट के साथ ऐसा क्या हुआ कि वोटिंग के बगैर ही भाजपा जीत गई?
दरअसल, रविवार को निर्वाचन अधिकारी ने सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में प्रथम दृष्टया विसंगति होने के बाद रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, कुंभानी का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी रद्द कर दिया गया. नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन यानी सोमवार को आठ उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिनमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्यारेलाल भारती और अधिकतर निर्दलीय शामिल हैं.
कांग्रेस के दोनों कैंडिडेट का नामांकन फॉर्म कैंसल
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी अपने तीन प्रस्तावकों में से एक को भी चुनाव अधिकारी के सामने पेश नहीं कर पाए, जिसके बाद उनका नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया. कुंभाणी के नामांकन फॉर्म में तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में गड़बड़ी को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए थे. सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी अमान्य कर दिया गया, जिससे कांग्रेस सूरत सीट के लिए चुनावी मैदान से बाहर हो गई.