सहकारिता क्षेत्र को अपने प्रदर्शन पर आत्मचिंतन करने की ज़रूरत: अमित शाह

पुणे, १८ फ़रवरी: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज महाराष्ट्र के पुणे में दैनिक सकाल समूह द्वारा आयोजित दो दिवसीय सहकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस मौक़े पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सहित कई मंत्री भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार सहकारिता क्षेत्र की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।उन्होंने कहा कि आज देश में सहकारिता क्षेत्र में कुछ ही राज्य अच्छा कर रहे हैं और उनमें से एक महाराष्ट्र है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सहकारिता बहुत पुरानी है क्योंकि कोऑपरेटिव महाराष्ट्र का स्वभाव रहा है और पूरे देश में सहकारिता को फैलाने में राज्य ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श् मोदी ने एक अलग सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की जिससे सहकारिता के सभी प्रश्नों पर फोकस हो सके। उन्होंने कहा कि भारत के कुल चीनी उत्पादन का 31 प्रतिशत आज भी सहकारी चीनी मिलों से होता है, दूध की 16 प्रतिशत खरीद सहकारी संस्थाओं से होता है, 13 प्रतिशत गेहूं,20 प्रतिशत धान की खरीद कोऑपरेटिव्स करते हैं, कुल उर्वरक का 25 प्रतिशत उत्पादन आज कोऑपरेटिव सोसाटियों के माध्यम से होता है। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहकारिता का बहुत बड़ा थ्रस्ट ना मिले, तोवो इतनी पनप नहीं सकती। श्री शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियों का बहुत बड़ा नेटवर्क हमारे देश में है और इसने देश के निचले तबके के आर्थिक विकास को बल दिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले एक दशक के बाद सहकारिता सबसे ज़्यादा प्रासंगिक सेक्टर होगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र का सहकारिता सेक्टर बहुत बड़ा, मज़बूत और व्यापक है। देश की लगभग साढ़े 8 लाख कोऑपरेटिव सोसायटियों में से 2 लाख अकेले महाराष्ट्र में हैं,देश की रेज़ीडेंशियल कोऑपरेटिव सोसायटीज़ की 67 प्रतिशत महाराष्ट्र में हैं, पशुधन समितियां 35 प्रतिशत, चीनी सहकारी समितियां 27 प्रतिशत, मार्केटिंग समितियां 16 प्रतिशत, मत्स्य उद्योग समितियां 14 प्रतिशत और खाद्य प्रसंस्करण की 11 प्रतिशत समितियां महाराष्ट्र में हैं।इसके अलावा महाराष्ट्र में देश की 21 प्रतिशत पैक्स हैं, और कुल शहरी बैंकों के 32 प्रतिशत, यानी, 490 बैंक महाराष्ट्र में हैं, इसके साथ ही 6529 बैंक शाखाएं भी महाराष्ट्र में हैं, जो देश की कुल शाखाओं का 60 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि महाराष्ट्र में सहकारिता बहुत बड़ी ताकत है। महाराष्ट्र में अर्बन कोऑपरेटिव बैंकोंके माध्यम से लगभग 3.25 लाख करोड़ रूपए जमा है, जो देश के कुल अर्बन बैंक जमा का 62 प्रतिशत है।

गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़े विज़न के साथ देश के ग्रामीण, सेमीअर्बन और अर्बन क्षेत्र की समृद्धि को कोऑपरेटिव के माध्यम से और बढ़ाने के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय का गठन किया था। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव की दृष्टि से पूरे देश की मैपिंग की गई है- विकसित राज्य, विकासशील राज्य और अल्पविकसित राज्य, और, इसके ज़रिए हमने हर क्षेत्र की समस्याओं का समाधान ढ़ूंढने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि एक ज़माने में विकास के लिए सूत्र था, मास प्रॉडक्शन, लेकिन भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में मास प्रॉडक्शन बाय मासेसके सूत्र के माध्यम से बेरोज़ग़ारी और लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करनने की ज़रूरत है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब तक देश में बेसिक प्राइमरी सोसायटीज़ को मज़बूत नहीं करते, सहकारिता मज़बूत नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश के 63000 पैक्स को मज़बूत करने के लिए उनका कम्प्यूटराइज़ेशन करने का निर्णय नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया। इसके साथ ही पैक्स के नए मॉडल बायलॉज़ बनाकर राज्यों को भेजे हैं, जिनमें पैक्स को बहुद्देश्यीय बनाने का प्रावधान रखा गया है। मल्टीडायमेंशनल पैक्स के मॉडल बायलॉज़ के ज़रिए 30 अलग अलग कामों के ज़रिए पैक्स को वायबल बनाने के प्रयास मोदी सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हर पंचायत में मल्टीडाइमेंशनल पैक्स (PACS) बनाने का निर्णय लिया है और अब 2 लाख नए पैक्स 3 साल में भारत में बनाए जाएंगे, जिसके बाद देश की हर पंचायत में पैक्स उपलब्ध होगा।

अमित शाह ने कहा कि पैक्स को CSC (Common Service Centre) का भी काम दिया जा रहा है और इसके लिए एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बन रहा है जिसका 80 प्रतिशत काम समाप्त हो चुका है। इसके माध्यम से हम कोऑपरेटिव को बढ़ाने और ड्राई एरिया को ढूंढ सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को एक सशक्त आधार देने के लिए सहकार नीति बनानी होगी और इसके लिए एक समिति बनाई गई है जो कुछ ही समय में सहकार नीति का मसौदा तैयार कर लेगी। उन्होंने कहा कि नई सहकार नीति देश में अगले 20 सालों की सहकारिता की दिशा तय करेगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता को बढ़ावा देने के साथ ही इस क्षेत्र में ट्रेंड मैनपावर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मोदी सरकार ने एक बहुद्देश्यीय सहकारिता यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लिया है जिससे सहकारिता के हर क्षेत्र के लिए ट्रेंड मैनपावर मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)के आकार और कार्यक्षेत्र को 2025 से पहले तीन गुना से भी अधिक बढ़ाया जाएगा। GEM पोर्टल पर सरकारी खरीद के लिए कोऑपरेटिव को भी मोदी सरकार ने प्रवेश की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा टैक्स के मामले में कोऑपरेटिव सोसायटीज़ को बराबरी पर लाने का काम इस वर्ष के बजट में किया गया है।उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मिलों को गन्ने के भुगतान पर जो अतिरिक्त आयकर देना पड़ता था, उसे रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से हटाकर 10 हज़ार करोड़ रूपए की देय राशि को माफ करने का काम भी केन्द्र की मोदी सरकार ने किया है, जो एक अभूतपूर्व कदम है।इसके साथ ही 3 मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटीज़ भी, अमूल की तर्ज पर, भारत सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट की मार्केटिंग के लिए एक मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक सोसायटी बनाई जाएगी जो भूमि, उत्पाद के परीक्षण के साथ ही इन उत्पादों की ब्रांडिंग भी करेगी। हम एक मल्टीस्टेट एक्सपोर्ट हाऊस भी बनाने जा रहे हैं जो पैक्स के माध्यम से किसानों के उत्पाद निर्यात करके उसका मुनाफा पैक्स के माध्यम से किसानों के खाते में सीधे जमा करेगा। उन्होंने कहा कि पैक्स को एफपीओ का स्टेटस देने का काम भी नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है, जिससे एफपीओ को मिलने वाले सारे फायदे अब पैक्स को भी मिले सकेंगे।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने आगे कहा कि भारत सरकार ने 2015 में तय किया था कि हम 2025 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल पेट्रोल में मिक्स करेंगे। इसके लिए 2022 तक का एक मिड टर्म लक्ष्य रखा था कि नवंबर, 2022 में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग तक पहुंचेंगे, लेकिन हमने ये लक्ष्य समय से पहले सितंबर में ही प्राप्त कर लिया, जो आज 12 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि इससे हमारा तेल आयात 10 प्रतिशत कम हो गया और लगभग 41,500 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा बचाई है, जिससे हमारा व्यापार घाटा भी कम हुआ है और ये 10 प्रतिशत सहकारी चीनी मिलों और उनके माध्यम से किसानों की जेब में गया। इसके अलावा इथेनॉल परियोजनाओं के निर्माण हेतु 2 लाख करोड़ रु. का निवेश किया जाएगा और केंद्र सरकार सब्सिडी के जरिए 6% ब्याज का भुगतान करेगी और 10% मिक्सिंग से ही कार्बन उत्सर्जन में 27 लाख टन की कमी हासिल की है और 20% मिक्सिंग होने से ये आंकड़े दोगुने हो जाएंगे।

अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को अपने प्रदर्शन पर आत्मचिंतन भी करना होगा और अपनी क्रेडिबिलिटी को बढ़ाना होगा।उन्होंने कहा कि आत्मचिंतन से व्यवस्थाओं को सुधारनाऔर अपनी ज़िम्मेदारियों को उठाना भी स्वयं सहकारिता क्षेत्र को करना होगा। उन्होंने कहा कि अब सहकारिता क्षेत्र के साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता और प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता मंत्रालय बनाकर सहकार से समृद्धि का जो सूत्र दिया है, उससे सहकारिता क्षेत्र की ग्रोथ को कोई नहीं रोक सकता।

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