हाल ही में सम्पन्न भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की नेपाल यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच नई गर्मजोशी किसी ऐतिहासिक संबंधों की नई इबारत लिखने से कम नहीं थी। रोटी—बेटी का प्राचीन काल से चला आ रहा नाता कितना गहरा है, विदेश मंत्री की आधिकारिक नेपाल यात्रा से वहाँ के लोगों में उत्साह से साफ़ दिख रहा था।
काठमांडू में भारत के विदेश मंत्री ने साफ कहा था कि भारत ‘पड़ोस पहले’ की नीति अपनाए हुए है और इस दृष्टि से नेपाल हमारा एक महत्वपूर्ण साझीदार है। उन्होंने कहा कि उनकी यह यात्रा दो निकट तथा दोस्ताना पड़ोसियों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की प्राचीन परंपरा के मद्देनजर हो रहा है।
नेपाली काँग्रेस के वरिष्ठ प्रतिनिधि सभा सदस्य एवं पूर्व उप–प्रधानमन्त्री, विमलेन्द्र निधि ने भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर की नेपाल यात्रा के दौरान गर्मजोशी से स्वागत किया।
उन्होंने कहा, “नेपाल के परराष्ट्र मंत्री और भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर के संयुक्त अध्यक्षता मे काठमाण्डु मे पिछला गुरुवार के दिन सम्पन्न नेपाल–भारत संयुक्त आयोग का सातवाँ बैठक मे हुए सम्झौता एवं सहमति को मैं स्वागत करता हुँ । इससे नेपाल–भारत बीच कायम विशिष्ट सम्बन्ध (युनिक रिलेसन) को और बल मिलेगा मेरा विश्वास है ।”
पूर्व उप–प्रधानमन्त्री एवं नेपाली काँग्रेस के वरिष्ठ प्रतिनिधि सभा सदस्य विमलेन्द्र निधि ने आगे कहा, “दोनों देशों के बीच हुए दीर्घकालीन ऊर्जा व्यापार सम्बन्धी सम्झौता अनुसार अगले १० वर्ष मे १० हजार मेगावाट विद्युत निर्यात किया जा सकता है । इस से नेपाल मे उत्पादित बिजली बजार सुनिश्चित होने के साथ–साथ नेपाल को वार्षिक लगभग १० खर्ब की आम्दनी होगी । जिस के कारण भारत के साथ बढता हुआ व्यापार घाटा कम करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह होगी।”
इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड से भेंट की और भारत-नेपाल संबंधों के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर से मिलकर नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड भी यह कहने से खुद को रोक नहीं पाए कि “नेपाल और भारत की दोस्ती बेजोड़ है।”
उधर, नेपाली काँग्रेस के वरिष्ठ प्रतिनिधि सभा सदस्य एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेन्द्र निधि ने भी पीएम प्रचंड द्वारा गर्मजोशी से जयशंकर के स्वागत का समर्थन किया।
उन्होंने अपने एक प्रेस वक्तव्य में कहा, “भारत सरकार की तरफ से प्राप्त होनेवाला अनुदान से नेपाल के कम्युनिस्ट पार्टी के नेतागण, सभी पार्टी के नेताओं और समाज के विभिन्न क्षेत्र के अगुवा भी अपने–अपने प्रभाव क्षेत्र मे खास कर के स्कुल, कलेज भवन और पुल निर्माण करते आए हैं। और भवन शिलान्यास तथा उद्घाटन भारतीय राजदूत व अधिकारी से कराते आए हैं साथ ही स्वयं भी शामिल होते आए हुए हैं। और आज किसी प्रकार का विरोध करना केवल दोहरे चरित्र प्रदर्शन करने जैसा है। नेपाल के विकास मे भारत सरकार की इस प्रकार के सहायता का मै समर्थन करता हुँ।”
अपने आधिकारिक नेपाल दौरे के दौरान भारत के विदेश मंत्री ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से भी शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाक़ात के दौरान दोनों ने नेपाल और भारत के बीच संपर्क, जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने और जलविद्युत के क्षेत्र में में साझेदारी और सहयोग की आवश्यकता की चर्चा की।
मालूम हो कि जयशंकर की मौजूदगी में भारत और नेपाल के बीच भारत द्वारा अगले 10 साल में 10,000 मेगावाट बिजली लिए जाने को लेकर एक बड़ा महत्वपूर्ण समझौता भी हुआ। भारत और नेपाल के ऊर्जा सचिवों ने इस द्विपक्षीय समझौते पर दस्तखत किए। गत नई दिल्ली आए नेपाल प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने घोषणा की थी कि दोनों देशों के बीच बिजली निर्यात को लेकर सहमति बन चुकी है।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और नेपाल के ऊर्जा-जल संसाधन तथा सिंचाई मंत्री शक्ति बहादुर बस्नेत की उपस्थिति में बिजली निर्यात समझौते को भी अधिकृत रूप से अंगीकार किया गया।
हालाँकि, ये समझौते सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक और रणनीतिक अर्थ भी खोजे जा रहे हैं।
-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी; Follow via X @shahidsiddiqui