नगर निगम ड्स्टबिन घोटाला: भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग अब निर्णायक मोड़ पर, ज़िलाधिकारी तलब

रामनगर (प. चंपारण): एक तरफ ऊपरी स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार अक्सर मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं, और कभी कभी राष्ट्रीय आक्रोश का रूप भी ले लेते हैं। और ज्यादातर भ्रष्टाचार जो आम आदमी को प्रभावित करती हैं , वो खुदरा / आम या बुनियादी स्तर पर ही भ्रष्टाचारियों द्वारा पैसे के बल पर ख़त्म कर दिया जाता है या उसे दबा दिया जाता है। 

लेकिन, एक ऐसी लड़ाई जो पिछले क़रीब ५ साल ले लड़ी जा रही थी, उसने इस मिथ्या को तोड़ दिया है। यानि रामनगर नगर निगम डस्टबिन घोटाले में शामिल आरोपियों पर शिकायत के बावजूद अबतक कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर पटना उच्चन्यायालय ने ज़िलाधिकारी को तलब कर दिया है। 

मामला १६ अप्रैल, २०१८ का है।  बिहार के पश्चिम चंपारण जिला में एक समाजिक कार्यकर्ता सईद सिद्दीक़ी  ने स्थानीय नगर निगम (रामनगर) द्वारा डस्टबीन ख़रीद में घोटाले का आरोप लगाया था। जिसके लिए साल २०१८ में जिला प्रशासन और राज्य सरकार को ज्ञापन द्वारा अवगत भी कराते हुए जाँच की माँग की थी। लेकिन, उसकी शिकायत पर नाहिं कार्रवाइ हुई नाहिं उस शिकायतकर्ता को संतोषजनक जवाब मिला। और अगर उसे कुछ मिला तो उसी के ख़िलाफ़ मुक़दमा (धारा १०७) और धमकी। जबकि इससे पहले भी नगर निगम द्वारा हाई मास्क लाइट की ख़रीद में अनियमितता को लेकर इसी समाजिक कार्यकर्ता ने सवाल उठाया था।

हालाँकि, समाजिक कार्याकर्ता सईद सिद्दीक़ी के लिए ये काफ़ी निराशाजनक और चौंकानेवाला था। उन्होंने  बताया कि जिस देश का प्रधानमंत्री लालक़िले से भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान करता हो वहाँ प्रशासन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। 

ग़ौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर पीएम ने एक बार लालक़िले से कहा था कि भ्रष्टाचार गंदगी की तरह है। यह देश को खोखला कर रहा है। इसे साफ करना होगा। जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें लौटाना होगा। उन्होंने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए देश की जनता से शक्ति मांगी थी।

दरअसल, ये लड़ाई समाजिक कार्यकर्ता के लिए इतनी आसान नहीं थी। पिछले ५ साल में हर चौखट से न्याय के बदले तिरस्कार और धमकी ही मिला। लेकिन फिर भी, पीएम मोदी का आह्वान को याद करते हुए समाजिक कार्यकर्ता सईद सिद्दीक़ी ने अपनी लड़ाई जारी रखी। और आख़िरकार भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ने की ज़िद के सामने भ्रषटाचारियों की सभी कोशिशों पर पानी फिरता दिख रहा है। पाँच साल की लंबी लड़ाई के बाद आख़िरकार माननीय उच्चन्यायालय ने इस आरोप को गंभीरता से लेते हुए १६ जनवरी को ज़िलाधिकारी को पेश हो कर अबतक की गई सभी कार्रवाई का ब्यौरा देने को कहा है।

ऐसे में न्यायालय की इस निष्पक्ष कार्रवाई से जहां स्थानीय जनता में उत्साह और एक नई उम्मीद की किरण दिख रही है, वहीं भ्रष्टाचारियों के लिए एक कड़ा संदेश के रूप में देखा जा रहा है। 

-संवाददाता , सद्भावना टुडे

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