लोकसभा में लंबी बहस के बाद बुधवार शाम को महिला आरक्षण बिल को बहुत बड़े बहुमत के साथ पारित किया गया. इस दौरान बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े तो वहीं विरोध में महज 2 वोट ही डाले गए. ये वोटिंग प्रक्रिया पर्ची के जरिए कराई गई है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नई संसद में पुरानी तकनीक से वोटिंग कराए जाने का कारण भी बताया.
महिला आरक्षण बिल पर पर्चियों से कराई गई वोटिंग पर लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला ने कहा, ये संविधान संशोधन है तो इसके लिए मतदान कराना जरूरी है. हालांकि इस नए सदन में डिविजन नंबर नहीं दिए गए हैं. इसलिए मतदान मत पर्चियों द्वारा होगा. इस पर जब विपक्ष की तरफ से पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि डिविजन नंबर इसलिए आवंटित नहीं हो सका है, क्योंकि आपके दलों ने अभी इसे आवंटन करके नहीं दिया है.
हरे, लाल और पीले रंग की रखी गईं पर्चियां
दरअसल लोकसभा सदस्यों को महिला आरक्षण बिल पर पर्ची से होने वाले मतदान की जानकारी नहीं थी. जैसे ही इसकी घोषणा हुई तो विपक्षी दलों के सांसदों ने इस पर सवाल भी पूछ लिया. वहीं मतदान पर्ची के बारे में जानकारी देते हुए सदन के महासचिव ने कहा कि लोकसभा में बैठे सभी सदस्यों के पास पर्ची भेजी जाएगी. पर्ची का हरा हिस्सा ‘हां’ यानी समर्थन दर्शाता है, जबकि लाल हिस्सा ‘नहीं’ दर्शाता है. इन पर्ची में सदस्यों को अपना नाम, आईडी नंबर, निर्वाचन क्षेत्र भरना होगा. सदस्यों को बिल के लिए अपना वोट दर्ज करने के लिए एक पर्ची भरनी होगी. जो लोग वोटिंग से अनुपस्थित रहना चाहते हैं वे पीली पर्ची की मांग सकते हैं.
महिला आरक्षण बिल को कांग्रेस का भी मिला समर्थन
महिला आरक्षण विधेयक 454 वोटों के साथ पारित हो गया. विरोध में सिर्फ 2 वोट ही पड़े. संविधान संशोधन के लिए सदन की संख्या के दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. जबकि किसी नॉर्मल बिल को पास कराने के लिए सदन में 50 फीसदी से ज्यादा सदस्य मौजूद होने चाहिए.