IIT ने डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया पीड़ित बच्चों के लिए बनाया नया ऐप

कानपुर, १४ अगस्त।  आईआईटी कानपुर टीम ने डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया से पीड़ित बच्चों के लिए एप्लिकेशन विकसित किया है। यह एप्लिकेशन एक डिवाइस के साथ एम्बेडेड है जो बच्चों को आसानी से सीखने में मदद करता है। क्लास 1 से 5 के बीच स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए हिंदी भाषा में एक प्रशिक्षण मॉड्यूल कराता है। एप्लिकेशन एक टचस्क्रीन आधारित इंटरफेस है, जिसमें सुनने की प्रतिक्रिया शामिल है। इसमें हिंदी के अक्षरों की सुविधा के लिए हैप्टिक सेन्सैशन और मोटर मूवमेंट शामिल है। बाद में इसमें कई और भाषाओं को भी शामिल किया जा सकेगा।

एप्लिकेशन बच्चों को ट्रेसिंग कार्य में सहायता करता है जहां उन्हें हिंदी के अक्षरों का पता लगाने के लिए नीले और गुलाबी बिंदु का फॉलो करना होता है। जैसे ही बच्चा नीले पॉइंट से से गुलाबी पॉइंट तक ट्रेस करना शुरू करता है, एक पीली रेखा साथ आती है। जिस समय डिसग्राफिया से पीड़ित, ट्रेसिंग क्षेत्र से विचलित हो जाता है। ऐसे में पीली रेखा गायब हो जाती है और उन्हें कार्य को फिर से शुरू करने के लिए कहा जाता है।

यह एप्लिकेशन के पहले स्तर का गठन करता है। दूसरे स्तर में, उन्हें पहेली के रूप में हिंदी अक्षरों के ज्यामितीय पैटर्न सिखाए जाते हैं। सुनने की प्रतिक्रिया के जरिये पढ़ने की पेशकश की जाती है। तीसरा स्तर शब्दों को लिखने और समझने के लिए दृश्य, श्रवण और हैप्टिक इनपुट को एकीकृत करता है। इस स्तर में कठिनाई के बढ़ते स्तर के साथ 120 हिंदी शब्द हैं।

बता दें कि डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया न्यूरोडेवलपमेंटल समस्या हैं। जो धीमी और गलत शब्द पहचान की विशेषता रखता है। विकासात्मक डिस्लेक्सिया सटीक, धाराप्रवाह शब्द पहचान और वर्तनी के साथ कठिनाइयों का कारण बनता है। जबकि डिस्ग्राफिया सुसंगत रूप से लिखने में असमर्थता को संदर्भित करता है। कोई भी दो डिस्लेक्सिक स्टूडेंट्स समान लक्षणों को प्रस्तुत नहीं करते हैं। नई चुनौतियों को दूर करने के लिए शोधकर्ता कई प्रयास कर रहे हैं।

आईआईटी कानपुर के निदेशक, प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया दो सामान्य स्थितियां हैं। जो बच्चे के मार्गदर्शन के लिए उचित समर्थन तंत्र के अभाव में उसके विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए, विशेषज्ञों की हमारी टीम के इस नए आविष्कार में इन स्थितियों से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान बनने की क्षमता है। साथ ही, हिंदी भाषा को शामिल करने से मुख्य रूप से हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं को सीखने में आसानी होगी।

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