G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन युद्ध का मुद्दा रहा हावी, साझा बयान पर नहीं बन सकी सहमति

नई दिल्ली, २ फ़रवरी : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में यूक्रेन संघर्ष से संबंधित मुद्दे थे। कई राजनयिकों ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम और रूस-चीन गठजोड़ के बीच गहरे मतभेद हैं। भारत द्वारा आम सहमति बनाने के प्रयासों के बावजूद जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध पर साझा बयान जारी न हो सका। हालांकि, भारत की मेजबानी में हुई बैठक में सारांश और परिणाम दस्तावेज अपनाया गया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में यूक्रेन संघर्ष से संबंधित मुद्दे थे। कई राजनयिकों ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम और रूस-चीन गठजोड़ के बीच गहरे मतभेद हैं।

जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि परिणाम और सारांश दस्तावेज वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए जी-20 के संकल्प को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि बैठक में कई ऐसे मुद्दे थे जहां सहमति बनी है। जयशंकर ने यह भी बताया कि जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की गई।

हालाँकि, इससे पहले G20 विदेश मंत्रियों की बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन से शुरुआत की।  G20 विदेश मंत्रियों की बैठक का संबोधन करते हुए भारत पहुंचे जी20 देशों के विदेश मंत्रियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा है कि यह बैठक एकता, एक उद्देश्य और कार्रवाई की एकता की जरूरतों को बल देता है। मुझे उम्मीद है कि आज की आपकी बैठक आम और ठोस उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ आने की भावना को दर्शाएगी। G20 विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज है। G20 विदेश मंत्रियों की बैठक की शुरुआत करने से पहले तुर्की और सीरिया में हाल ही में आए भूकंपों में जान गंवाने वाले लोगों के लिए एक मिनट का मौन भी रखा गया।

जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि हम सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि बहुपक्षवाद आज संकट में है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनाई गई वैश्विक शासन की वास्तुकला दो कार्यों को पूरा करने के लिए थी। उनमें पहला- प्रतिस्पर्धी हितों को संतुलित करके भविष्य के युद्धों को रोकना था जबकि जबकि दूसरा सामान्य हित के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था। पीएम ने कहा वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्धों के पिछले कुछ वर्षों के अनुभव से स्पष्ट है कि वैश्विक शासन अपने दोनों जनादेशों में विफल रहा है।

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वर्तमान में कोई भी समूह अपने निर्णयों से सर्वाधिक प्रभावित लोगों की बात सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता। यह बैठक गहरे वैश्विक विभाजन के समय में हो रही है। विदेश मंत्रियों के रूप में ये स्वाभाविक है कि आपकी चर्चा भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित होगी।’ पीएम बोले- ‘दुनिया विकास, आर्थिक लचीलापन, आपदा लचीलापन, वित्तीय स्थिरता, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, विकास की चुनौतियां को कम करने के लिए G20 की ओर देख रही है। इन सभी में G20 में आम सहमति बनाने और ठोस परिणाम देने की क्षमता है।’

-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी, Follow via Twitter @shahidsiddiqui

 

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *