BHU ने एमआरएसए स्ट्रेन के इलाज में कारगर डिलनिया पेंटागिना पौधे की पहचान की

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के बॉटेनिकल रिसचर ने मेथिसिलिन प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) स्ट्रेन के खिलाफ बायोएक्टिविटी वाले फंगस से जुड़े एक पौधे की पहचान की है।

डॉ. सुरेंद्र कुमार गोंड और उनके रिसर्च स्कॉलर संदीप चौधरी ने हाल ही में डिलनिया पेंटागिना पौधे की छाल से एमआरएसए विरोधी गतिविधियों वाले एक एंडोफाइटिक फंगस, पेस्टलोटिप्सिस माइक्रोस्पोरा की पहचान की और उसकी विशेषता बताई।

रिसर्च की रिपोर्ट हाल ही में ‘जर्नल ऑफ बेसिक माइक्रोबायोलॉजी’ में प्रकाशित किए गए।

डॉ. गोंड ने कहा कि जीवाणु रोगजनकों के कारण होने वाले संक्रामक रोगों में वृद्धि का वर्तमान परिदृश्य शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। बहुऔषध प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के विकास के खिलाफ नए प्राकृतिक यौगिकों की खोज करने की तत्काल आवश्यकता है।

उनके अनुसार, स्टैफिलोकोकस ऑरियस स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमण का एक अनुकूलनीय जीव है जिसमें एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध को विकसित करने की क्षमता होती है।

उन्होंने कहा कि एमआरएसए के विकास को नियंत्रित करने के लिए कवक का अर्क बहुत प्रभावी था। जीसीएमएस (गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्री) तकनीक का उपयोग करके कवक के अर्क में मौजूद बायोएक्टिव यौगिकों की पहचान की गई।

अनुसंधान परियोजना को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा फंड दिया गया।

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