विपक्षी दलों द्वारा अपनी मुंबई बैठक में शक्ति प्रदर्शन करने के ठीक दो दिन बाद तमिलनाडु (Tamilnadu) सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) के बेटे उदयनिधि स्टालिन (Udayanidhi Stalin) की विवादास्पद टिप्पणियां बड़ा सिरदर्द साबित हो रही हैं. उदयनिधि स्टालिन की ‘सनातन धर्म को खत्म करने’ वाली टिप्पणी को भाजपा हिंदू धर्म पर हमले के रूप में उठा रही है. वहीं भारतीय राष्ट्रीय विकासवादी समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A) गठबंधन के दलों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है.
कांग्रेस, सीधे तौर पर इस मामले में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) का समर्थन करने से बच रही है. जनता दल (यू) ), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), आम आदमी पार्टी (आप) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी इसे लेकर असहज हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे के शब्दों को एक “अक्षम राजनीतिक वंशवादी” के रूप में पेश किया है, जिसने ‘हिंदुओं की आस्था का अपमान’ किया है. भाजपा, विपक्षी गठबंधन के घटक दलों को इस बयान की निंदा करने की चुनौती दे रही है.
कांग्रेस ने बनाई दूरी, लेकिन सांसद कार्ति ने किया समर्थन
हालांकि जदयू और राजद पहले ही उदयनिधि को माफी मांगने की सलाह दे चुके हैं. कांग्रेस नेता और तमिलनाडु से सांसद कार्ति चिदंबरम ने भले स्टालिन का समर्थन किया है, लेकिन उनकी पार्टी कांग्रेस अभी दूर बनी हुई है. कांग्रेस जानती है कि हिंदू धर्म पर इस तरह के हमलों से पार्टी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जल्द ही होने वाले चुनावों में भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने पूछा ये सवाल
चुनावी राज्यों क्रमशः राजस्थान और मध्य प्रदेश में रविवार को प्रचार करते समय, भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने I.N.D.I.A पर हमला करने में कोई समय नहीं गंवाया. उदयनिधि के बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान में एक सार्वजनिक रैली में भीड़ से पूछा कि क्या लोग सनातन धर्म को खत्म करने की उदयनिधि की टिप्पणी को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं? वहीं, मध्यप्रदेश में भाजपा चीफ जेपी नड्डा ने कहा कि उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और कोविड जैसी बीमारियों से की. नड्डा ने पूछा, “क्या यह वही राजनीतिक रणनीति है जो विपक्षी गठबंधन ने दो दिन पहले मुंबई में बनाई थी.”
उदयनिधि ने अपनी टिप्पणियों के लिए अब तक माफ़ी नहीं मांगने का विकल्प चुना है. अगर किसी ने उन पर मुकदमा दायर किया तो वे अदालत में जवाब देने के लिए तैयार हैं. तमिलनाडु की राजनीति में, डीएमके सनातन धर्म की आलोचना करके अपने मूल मतदाताओं तक पहुंच रही है. उदयनिधि ने स्पष्ट किया है कि उनका हमला जाति पदानुक्रम पर था और इसे कैसे खत्म किया जाना चाहिए.