नई दिल्ली। अमेरिकी हाई स्कूल के विद्यार्थी को एक्सचेंज प्रोग्राम के जरिये हिंदी सीखने के साथ ही भारतीय संस्कृति से भी पहचान हो रही है। नेशनल सिक्युरिटी लैंग्वेज इनीशिएटिव फॉर यूथ (एनएसएलआई-वाई) की वजह से यह संभव हो सका। साल 2006 में एनएसएलआई-वाई का शुभारंभ किया गया जिससे अमेरिकी युवाओं के बीच भाषा प्रशिक्षण को प्रोत्साहन मिला। किसी भाषा को सिखने का सब से अच्छा तरीका होता है उस परिवेश में स्वयं को रमा लेना, तभी जाकर उस भाषा के सही मायनों से रूबरू हो सकते है|
अमेरिकी विदेश विभाग अमेरिकन काउंसिल्स फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन और अन्य प्रोग्राम भागीदारों के साथ मिलकर कुल आठ भाषाओं में विद्यार्थियों को मेरिट आधारित छात्रवृत्ति देता है। ये आठ भाषाएं हैं-अरबी, चीनी (मंदारिन), हिंदी, इंडोनेशियाई, कोरियाई, फारसी (ताजिक), रूसी और तुर्की।अमेरिकी विद्यार्थी भारत समेत दुनिया के उन सभी देशों में जाते हैं जहां ये आठ एनएसएलआई-वाई भाषाएं बोली जाती हैं।
ये एक्सचेंज प्रोग्राम गर्मी के मौसम में छह या आठ सप्ताह के लिए होता है, जिससे विद्यार्थी कई अनूठे अनुभवों एहसास करता है| एएफएस इंडिया में डिप्टी होस्टिंग ऑपरेशन रोशन साजन अपना अनुभव साझा करते हुए बताते है ‘‘एनएसएलआई-वाई प्रोग्राम में हिंदी को भी शामिल किया गया है, जो एक प्रकार का अनूठा प्रयास है जिसमे एक सुगठित पाठ्यक्रम और योजनाबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिये प्रतिभागी विद्यार्थी को भाषागत कौशल का अभ्यास होता हैं।
एएफएस इंडिया एएफएस इंटर कल्चरल प्रोग्राम का हिस्सा है। एएफएस एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो 50 से अधिक देशों में अंतर सांस्कृतिक प्रशिक्षण के अवसर मुहैया कराता है और भारत में एनएसएलआई-वाई का पार्टनर संगठन है।इसके तहत शैक्षिक वर्ष प्रोग्राम के प्रतिभागियों को कई जगहों की यात्राएं कराई जाती हैं, जिसमें वाराणसी भी शामिल है, जो उनकी भाषा शिक्षण प्रशिक्षण परियोजना का अंग है।
इस प्रोग्राम के माध्यम से विद्यार्थी दूसरे देशों के साथ जीवन भर के संबंधों के अलावा उन स्मृतियों को भी संजोते हैं,एक और पूर्व विद्यार्थी ने अपना अनुभव साझा किया और बताया वह एक भारतीय रेस्तरां में नौकरी करने लगी है , जहां वह हिंदी भाषा का और अधिक अभ्यास कर सकती है। हिंदी भाषा के द्वारा हमे आर्थिक लाभ हो रहा है।