मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट में भारी गिरावट और कृषि सेक्टर के खराब प्रदर्शन की वजह से भारत की जीडीपी ग्रोथ गिरकर 6 साल के निचले स्तरों पर आ गई है. फाइनेंशियर ईयर 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ गिरकर 5 परसेंट हो गई है. साथ ही मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) लुढ़ककर 0.6% पर आ गई है. जबकि पिछले फाइनेंशियल ईयर में ये 12.1 परसेंट थी.
देश की ग्रोथ रेट में गिरावट पर अर्थशास्त्रियों, एक्सपर्ट्स, कारोबारियों की चौंकाने वाली प्रतिक्रिया है. ज्यादातर लोगों के अनुमान से काफी खराब आंकड़े आए हैं. उनका मानना है कि सरकार और रिजर्व बैंक को इस चुनौती से निपटने के लिए अब कदम उठाने होंगे.
बायोकॉन की चेयरमैन और एमडी किरण मजूमदार शॉ ने कहा है कि जीडीपी ग्रोथ गिरकर 5% के स्तरों पर आ गई है इसका मतलब है ये “आर्थिक आपातकाल” है. ये सरकार के लिए नींद से जागने का वक्त है और इस पर जल्दी कदम उठाने होंगे.
इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए फाइनेंशियल सेक्टर में काम करने वाले एक्सपर्ट्स ने बताया कि इन आंकड़ों के बाद सरकार को कुछ बड़े और जरूरी कदम उठाने होंगे.
सुजान हाजरा का कहना है कि जीडीपी के आंकड़े उनकी उम्मीदों से काफी खराब आए हैं. अब भारत सिर्फ चीन ही नहीं, फिलीपींस और इंडोनेशिया से पिछड़ गया है. प्राइवेट कंजम्प्शन और डिमांड में भारी कमी के चलते ग्रोथ प्रभावित हुई है, ये साफ हो गया है. उम्मीद है कि इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छःमाही में रिकवरी देखने को मिले.