होंडुरास राष्ट्रपति चुनाव: सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार ने मानी हार, एक और कास्त्रो का उदय

तेगुसिगाल्पा (होंडुरास)। रविवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार शियोमारा कास्त्रो ने जीत हासिल की है। इसके साथ ही होंडुरास की सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज ने अपनी हार स्वीकार कर ली है।

नेशनल पार्टी नासरी असफुरा ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि उन्होंने कास्त्रो को व्यक्तिगत रूप से बधाई दी, जबकि केवल आधे वोटों की ही गिनती हुई है और वह करीब 3,54,000 मतों से पीछे चल रहे थे।

राष्ट्रीय चुनाव परिषद के मुताबिक़, 52 फ़ीसदी मतों की गिनती के बाद कास्त्रो को असफुरा के 34 प्रतिशत मत के मुकाबले 53 प्रतिशत वोट मिले हैं। नियम के मुताबिक विजेता घोषित करने के लिए परिषद के पास चुनाव से 30 दिन तक का समय होता है।

असफुरा ने कहा कि उन्होंने कास्त्रो और उनके परिवार से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं इसे सार्वजनिक रूप से कहना चाहता हूं। मैं उनकी जीत के लिए उन्हें बधाई देता हूं और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में मुझे उम्मीद है कि भगवान उनको सही रास्ता दिखाएंगे, ताकि विकास और लोकतंत्र की इच्छाओं को हासिल करने के लिए, उनका प्रशासन हम सभी होंडुरास वासियों का कल्याण करे।

कास्त्रो, ने नेशनल पार्टी के 12 वर्षों के शासन के खिलाफ असंतोष की लहर को हवा दी, जो निवर्तमान राष्ट्रपति जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज के दूसरे कार्यकाल में चरम पर थी।
वामपंथी पार्टी की शियोमारा कास्त्रो की जीत की उम्मीद में रविवार को तेगुसीगल्पा की सड़कों पर हजारों लोग जश्न मनाने के लिए भी उतरे।

आगे की स्थिति जानने से पहले आइए जानते हैं होंदुरास की भुगौलिक स्थिति के बारे में। स्पेनिशभाषी होंदुरास मध्य व लैटिन अमेरिका के उन देशों में से है जिनको लेकर पश्चिमी मीडिया में एक खास तरह की छवि रही है, कि वे हिंसा से बुरी तरह ग्रस्त हैं, वहां खासी गरीबी-बेरोजगारी है और वे ड्रग्स के कारोबार में लिप्त गैंगवार के शिकार रहे हैं, और वहां तानाशाह सरकारें रही हैं।

मध्य अमेरिका की भौगोलिक स्थिति भी उसे एक महत्वपूर्ण कारोबारी ट्रांजिट प्वाइंट बनाती रही है। मैक्सिको के रास्ते अमेरिका जाने वाले तमाम शरणार्थी भी कथित रूप से मध्य अमेरिका से आते हैं जो बेहतर जिंदगी की तलाश में अमेरिका पहुंचते हैं।

अगर इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि होंदुरास यूं तो छोटा सा अचर्चित देश है लेकिन वह मध्य-लैटिन अमेरिका की उस पट्टी में स्थित है जो वामपंथी, लोकतांत्रिक व प्रगतिशील आंदोलनों का गढ़ रही है और पूंजीवादी सरकारों को हमेशा बेचैन किए रहती है।

अगर हम होंदुरास के उत्तर-पूर्वी तट पर खड़े हों तो बीच में कैरेबियाई सागर दिखेगा और उस पार फिदेल कास्त्रो का क्यूबा। और पूरी दुनिया को पता है क्यूबा और फिदेल कास्त्रो के बारे में। इसी वजह से वामपंथी पार्टी की शियोमारा कास्त्रो की जीत को भी क्यूबा और फिदेल कास्त्रो की जोड़ कर देखा जा रहा है और होंदुरास में भी एक कास्त्रो का उदय के रूप में पेश किया जा रहा है।

और इससे बड़ी बात ये है कि शियोमारा कास्त्रो का राष्ट्रपति बनना भी होंदुरास के लिए एतिहासिक पल होगा जब उनका नाम देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रुप में दर्ज होगा।

हालाँकि, नतीजों की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन आधे से ज्यादा मतों की गिनती हो चुकने के बाद कास्त्रो को पहले ही 20 फीसदी अंक की बढ़त हासिल हो चुकी है। इससे उनकी जीत तय जान पड़ती है। इस तरह 12 साल बाद वहां वामपंथी लाइबर (लिबर्टी एंड रिफाउंडेशन) पार्टी की सत्ता में वापसी होगी।

आधिकारिक घोषणा से पहले ही जब पूरी दुनिया को पता चल चुका है उनका राष्ट्रपति बनना तय है, ऐसे कास्त्रो ने अपने मंसूबे भी ज़ाहिर कर दिए। वैसे भी देश की पहली महिला राष्ट्रपति होने के नाते तो सबकी निगाह कास्त्रो पर ही रहेगी, लाइबर पार्टी की कई नीतियों पर समूचे इलाके की निगाह रहेगी। कास्त्रो ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की मदद से जंग छेड़ने और संविधान में कई बदलाव करने की बात कही है। उन्होंने गर्भपात पर पाबंदियों को भी कम करने का वादा किया है।

इसके अलावा, चीन से होंदुरास के रिश्तों का मसला भी प्रेक्षकों की खास रुचि का रहेगा। कास्त्रो ने इस बात का संकेत दिया है कि वे ताईवान के मामले में चीन के साथ खड़ी रहेंगी यानी मुमकिन है कि वे ताईवान से कूटनीतिक रिश्ता घटा लें।

फ़िलहाल राष्ट्रपति पद के चुनाव में क़रीब एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके अलावा उप-राष्ट्रपति के पद के लिए कास्त्रो के साथ खड़े हुए हैं लोकप्रिय टीवी एंकर सल्वाडोर नसरल्ला।

चुनावों के रुझान स्पष्ट हो जाने के बाद शियोमारा कास्त्रो ने साफ कहा कि अब और सत्ता का शोषण नहीं होगा। उन्होंने सबको साथ लेकर चलने वाली सरकार बनाने का ऐलान किया और कहा कि वह रायशुमारियों (जनमत संग्रहों) की मदद से प्रत्यक्ष लोकतंत्र को और मजबूत बनाएंगी।

मालूम हो कि 2009 में कास्त्रो के पति मैनुअल जेलाया राष्ट्रपति थे जब वहां व्यवसायियों ने सेना के प्रभावशाली तबके को साथ मिलाकर तख्तापलट कर उन्हें हटा दिया गया था। इतना ही नहीं, उस तख्तापलट के बाद हुए सभी चुनावों की तुलना में इस बार के नतीजे अभी तक के अनुमान के अनुसार ज्यादा स्पष्ट होने के आसार हैं।

2017 में पिछले चुनावों में तो धांधली के आरोपों के कारण नतीजों के बाद हुई हिंसा में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। यही कारण रहा कि निवर्तमान राष्ट्रपति जुआन ओरलांडो हरनांदेज लोगों के बीच निरंतर अलोकप्रिय होते गए।

होंदुरास में अमेरिकी शैली का राष्ट्रपति प्रणाली का शासन है। राष्ट्रपति पद के चुनावों के साथ ही वहां कांग्रेस की 128 सीटों के लिए भी चुनाव है। लाइबर पार्टी को उम्मीद है कि वहां भी बहुमत मिल जाए। वरना अगर कांग्रेस में नेशनल पार्टी को बहुमत मिला तो वहां कास्त्रो के लिए शासन चलाना चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।

क्यूबा या वेनेजुएला के उलट होंदुरास वामपंथ का गढ़ सरीखा तो नहीं रहा है, इसलिए कास्त्रो के सामने अपनी लोकतांत्रिक समाजवाद की विचारधारा को भी देश में लोकप्रिय बनाने की चुनौती होगी।

-डॉ. म. शाहिद सिद्दीक़ी

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