सूडान में सेना ने किया तख्तापलट, राष्ट्रपति अल-बशीर गिरफ्तार

तीन दशक तक सत्ता में रहने वाले सूडान के राष्ट्रपति ओमर-अल बशीर का तख़्तापलट हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है।अवाद इब्न औफ़ ने सरकारी न्यूज़ चैनल पर कहा कि सेना ने दो साल बाद चुनाव कराने के बारे में निश्चय किया है।इसके साथ देश में तीन महीने के लिए आपातकाल लगा दिया गया है। 1989 से ही सूडान पर राज कर रहे बशीर के ख़िलाफ़ कुछ महीनों से लगातार प्रदर्शन हो रहे थे।

सूडान में चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को सेना ने गुरुवार को पद से हटा दिया और उन्हें हिरासत में ले लिया। रक्षा मंत्री अवद इब्ने औफ ने सरकारी टीवी पर यह जानकारी दी। इब्ने औफ ने देश को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं रक्षा मंत्री के तौर पर सरकार के गिरने का ऐलान करता हूं। सरकार के प्रमुख को एक सुरक्षित स्थान में हिरासत में रखा गया है।’

उन्होंने बताया कि बशीर की जगह अंतरिम सैन्य परिषद 2 साल के लिए शासन करेगी। उन्होंने एक बयान पढ़ते हुए कहा कि हमने सूडान के 2005 के संविधान को निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम तीन महीने के लिए आपातकाल की घोषणा करते हैं और नए आदेश तक देश की सीमाएं एवं हवाई क्षेत्र को बंद करने का हुक्म देते हैं।

इब्ने औफ ने कहा कि सैन्य परिषद ने देश में संघर्षविराम घोषित कर दिया है जो युद्धग्रस्त दारफर, ब्लू नील और दक्षिण कुर्दफान में भी लागू होगा। यहां बशीर सरकार लंबे वक्त से जातीय विद्रोहियों से लड़ रही है।

बशीर 1989 में हुए तख्तापलट के बाद सत्ता में आए थे। वह अफ्रीका में सबसे लंबे वक्त तक राष्ट्रपति रहे नेताओं में शामिल हैं। वह नरसंहार और युद्ध अपराध के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत में वांछित हैं। गुरुवार को सेना ने एक अहम घोषणा का वादा किया जिसके बाद सूडान के प्रफुल्लित लोग समूचे खरतूम में चौहराओं पर आने लगे। वे सरकार गिरने के नारे लगा रहे थे। वे सब सैन्य मुख्यालय के बाहर खुले मैदान में घुस गए जहां प्रदर्शनकारी अपने अप्रत्याशित धरने को छठे भी जारी रखे हुए थे। सरकार द्वारा ब्रेड की कीमत तीन गुणा करने के बाद दिसंबर में यह प्रदर्शन शुरू हुए थे।

प्रदर्शन बशीर के लंबे शासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहे। सुरक्षा एजेंसियों ने सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का भी ऐलान किया। गुरुवार सुबह से ही समूचे खरतूम में सैनिकों को ले जाते सैन्य वाहन देखे गए। चमश्दीदों ने एएफपी को बताया कि सैनिकों ने इस्लामिक मूवमेंट के दफ्तर पर छापा मारा। यह बशीर की सत्तारूढ़ नेशनल कांग्रेस पार्टी की विचारधारा इकाई है। सरकारी टीवी पर मार्शल संगीत चलाया गया क्योंकि सैनिकों ने टीवी को अपने सामान्य कार्यक्रम रोकने का हुक्म दिया था। सेना के मुख्यालय के बाहर दर्जनों प्रफुल्लित प्रदर्शनकारी लैंडक्रूजर और बख्तरबंद गाड़ियों पर चढ़ गए। दिसंबर में शुरू हुए प्रदर्शनों में अबतक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हफ्ते के शुरू मे अमेरिका, ब्रिटेन और नॉर्वे ने पहली बार प्रदर्शनकारियों को समर्थन दिया।

VIDEO NEWS BY AL-JAZEERA

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