अफ्रीकी देश सूडान की राजधानी खार्तूम में सोमवार को सैन्य मुख्यालय के बाहर बैठे प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने की सुरक्षा बलों की कोशिश में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। सैन्य मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठे ये प्रदर्शनकारी लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे थे।
समाचार एजेंसी एफे न्यूज के मुताबिक, सूडानी डॉक्टरों की केंद्रीय समिति (सीसीएसडी) के मोहम्मद बाबकर ने बताया कि घायल हुए कई लोगों की हालत बेहद गंभीर है।
सूडान के डॉक्टरों की केंद्रीय समिति ने बताया कि मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 30 से अधिक हो गई है। उन्होंने बताया कि ‘‘सैकड़ों लोग घायल हैं।’’
प्रदर्शन की एक आयोजक सूडानी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन (एसपीए) ने कहा कि सेना ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए गोला बारूद और व्यापक बल का प्रयोग किया। प्रदर्शनकारी अप्रैल के शुरू से ही राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के सत्ता से बेदखल होने के बाद नागरिक शासन में बदलाव की मांग कर रहे हैं। बशीर लगभग 30 वर्षो तक सत्ता में रहे।
डॉक्टरों की समिति ने रेड क्रीसेंट और डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स से घायलों और विरोध शिविर में फंसे चिकित्सा कर्मियों को बाहर निकालने में मदद करने का आग्रह किया।
वर्ष 1989 में तेल-समृद्ध देश में तख्तापलट का नेतृत्व करने के बाद सत्ता संभालने वाले अल-बशीर को अप्रैल में एक सैन्य तख्तापलट में हटा दिया गया और सरकार के विरुद्ध चले महीनों के प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने अपना धरना जारी रखा है और कहा कि नए सैन्य शासकों ने अल-बशीर के पूर्व शासन को जारी रखा है।
सैन्य परिषद ने अपने बलों द्वारा सेना मुख्यालय के सामने धरने पर बैठे लोगों को हिंसक तरीके से वहां से हटाने से इनकार किया है।
इससे पहले काफी समय से सत्ता पर कब्जा जमाए बैठे उमर राशिद को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद सेना ने तख्तापलट कर उन्हें अपदस्थ कर दिया था।
इस तख्तापलट के बाद शीर्ष अधिकारियों को हिरासत में ले लिया गया था. सेना ने एक संक्रमणकालीन परिषद का गठन किया था, जो शासन का काम देख रही थी।
लेकिन अब सैनिक शासन असैन्य हाथों में सत्ता सौंपने को तैयार नहीं है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और अमेरिका सहित यूरोपीय देश उसपर लगातार दबाव बना रहे हैं।