सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बाद दुष्कर्म के आरोपी भाजपा विधायक निलंबित


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्नाव दुष्कर्म मामले में जैसे ही सख्त रवैया अपनाया, वैसे ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी चार बार के उत्तर प्रदेश के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकालने पर मजबूर हो गई।

कुलदीप पर 2017 में एक युवती का दुष्कर्म करने के साथ ही हाल ही में कथित तौर पर उक्त महिला को मारने की कोशिश करने का आरोप लगा है। इस वजह से भाजपा पर काफी दबाव बना हुआ था, जिसके बाद गुरुवार को उन्हें पार्टी से निकाले जाने की घोषणा की गई। पार्टी का फैसला भी उसी दिन आया जिल दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लिया और आदेश दिया कि पीड़िता के दुष्कर्म से लेकर सड़क दुर्घटना से संबंधित सभी मामलों की ेसुनवाई उत्तर प्रदेश के बजाए नई दिल्ली में होगी।
भाजपा सांसद और प्रवक्ता जी. वी. एल. नरसिम्हा राव ने कहा कि पार्टी में ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए कोई जगह नहीं है जो गंभीर आरोपों का सामना कर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि पार्टी सार्वजनिक आक्रोश बढ़ने के कारण विधायक के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर हुई। इसलिए कठोर रुख अपनाया गया।

पार्टी ने हालांकि पहले कड़ी कार्रवाई करने से परहेज किया था, क्योंकि विधायक को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पार्टी के बाहर और अंदर बढ़ते आक्रोश के बाद अब उनका बचाव करना मुश्किल हो गया था।

उन्नाव में बांगरमऊ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए सेंगर 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में शामिल होने से पहले सेंगर उत्तर प्रदेश की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस के साथ शुरुआत की थी। इसके अलावा वह वह बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी से भी जुड़े रहे हैं।

गौरतलब है कि रायबरेली के पास 28 जुलाई को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुष्कर्म पीड़िता फिलहाल जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। दुष्कर्म के आरोप के बाद जेल में बंद सेंगर इस दुर्घटना में कथित भूमिका के लिए संदेह के घेरे में हैं। इस दुर्घटना में पीड़िता की दो चाची की मौत हो गई और उसका वकील भी गंभीर रूप से घायल हो गया।

उत्तर प्रदेश भाजपा प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह ने बुधवार को कहा था कि उनके निष्कासन की मांग काफी जोर-शोर से उठाई जा रही है। सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र में उनके राजनीतिक रसूख ने ही भाजपा को उन्हें निष्कासित करने के फैसले में देरी करने के लिए मजबूर किया।

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *