सीएए के खिलाफ लखनऊ में हिंसा, 1 की मौत, उत्तराखंड में धरना-प्रदर्शन


नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिंसा हुई। इस दौरान उपद्रवियों ने पथराव किया और वाहनों को आग लगा दी, जबकि संभल में दो सरकारी बसों को आग के हवाले किया गया। अपुष्ट खबर मिली है कि पेट में गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के कई जिलों में भी धरना-प्रदर्शन हुए, लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।

केजीएमयू के प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया कि एक युवक के पेट में गोली लगी थी, लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। युवक सज्जाद बाग का रहने वाला था।

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने बताया कि 19 दिसंबर को किसी भी तरह के प्रदर्शन और जमवाड़े की अनुमति नहीं दी गई थी। डीजीपी ने कहा, “पुलिस को राजधानी के मदेयगंज क्षेत्र में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े। करीब 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हसनगंज क्षेत्र में भी पथराव कर रही भीड़ पर आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े।”

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को हिरासत में ले लिया गया है। वह नागरिकता कानून के खिलाफ परिवर्तन चौक पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे।

परिवर्तन चौक स्थित के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम के मेट्रो स्टेशन के गेट बंद कर दिए गए हैं, क्योंकि पथराव कर रही भीड़ बड़ी संख्या में यहां जमा हो गई थी। भीड़ ने एक टीवी चौनल की ओवी वैन में तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया।

लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने कहा कि पुलिस ने हालात पर काबू पा लिया है। यहां पर गलियों से जो भीड़ आ रही थी, उसे वापस गलियों में खदेड़ दिया गया है। अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।

उधर, संभल के जिलाधिकारी अविनाश के सिंह ने कहा, “जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। यहां भीड़ ने एक बस को आग लगा दी और दूसरी को क्षतिग्रस्त कर दिया।”

मऊ में भीड़ ने पथराव किया, जिसके बाद आरएएफ और पीएसी सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। यहां भी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कई शिक्षकों ने मौन जुलूस निकाला। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जिन लोगों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उनसे जुर्माना वसूला जाएगा। उनकी संपत्ति नीलाम कर जुर्माने की रकम वसूली जाएगी।”

उन्होंने कहा, “संभल और लखनऊ में हिंसा हुई। एक दर्जन वाहनों में आग लगाई गई। उपद्रवियों से हम सख्ती से निपटेंगे। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।”

एडीजी (कानून व्यवस्था) ने बताया कि लखनऊ में बवाल के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उधर, गृह मंत्रालय ने लखनऊ में हुई हिंसा की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है।

शहर के अन्य कई हिस्सों में तनाव व्याप्त है। विशेषकर पुराने लखनऊ के मुस्लिम बहुल इलाकों में तनाव है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को होने वाली सभी परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में भी सभी परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं।

कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा, बसपा और कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही हैं। मुसलमानों के कंधों को साजिश के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है। विपक्ष से आग्रह है कि लोगों, खासकर छात्रों को गुमराह नहीं किया जाए। लखनऊ में कानून को हाथ लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

उत्तराखंड में वामपंथी दलों ने चमोली, हरिद्वार, ऋषिकेष, देहरादून, अल्मोड़ा में प्रदर्शन किया। इस दौरान सभी जिलों में लोगों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

उधर, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले सिपाही को उत्तरकाशी के एसपी पंकज भट्ट ने निलंबित कर दिया है। टिप्पणी को लेकर देर रात लोगों ने शहर कोतवाली पर प्रदर्शन किया था। इसके बाद दून के एसएसपी की तरफ से उत्तरकाशी के एसपी को कार्रवाई की रिपोर्ट भेजी गई थी।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अनिल के. रतूड़ी ने बताया कि इस मामले में सभी अधिकारियों को सर्तकता बरतने के लिए कहा गया। सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखने को कहा गया। लोगों से लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करने की अपील की गई और शांति व्यवस्था को प्रभावित करने वालों पर कठोर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए।

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