सामाजिक संस्थाओं की अगुवाई में युवा कर रहे हैं दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की मदद

       फ़ोटो- युवा सामाजिक कार्यकर्ता सईद सिद्दीकी मोबाइल पर मजूदरों की लिस्ट मिलाते हुए।

देश के कई हिस्सों और विशेषकर बिहार और यूपी के कई मजदूर देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं। इनकी बेहतर व्यवस्था के लिए कई सामाजिक संस्था और कार्यकर्ता दिन रात प्रयासरत हैं। इसको लेकर विशेष रूप से बिहार के युवा सामाजिक कार्यकर्ता म.सईद सिद्दीक़ी की पहल सराहनीय है।इन मजबूर मज़दूरों की मदद के लिए  इन्होंने नई तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया है। तकनीक के माध्यम से उन्होंने आम लोगों को जागरूक ही नहीं किया, बल्कि ऐप के ज़रिए रास्ते में फँसे लोगों से संपर्क कर उन्हें शिविरों में भेजने का भी काम कर रहे हैं। 

हालाँकि, देश के कई प्रतिष्ठित सामाजिक संस्थाओं ने भी इस आपदा में बढ़चढ़कर ऐसे लोगों का भरपूर सहयोग किया है। जिसमें डिजिटल एंपावरमेंट फ़ाउंडेशन का नाम सबसे पहले आता है,  जिसने सबसे पहले देश में फैले अपने क़रीब १० हज़ार कार्यकर्ताओं के नेटवर्क का इस्तेमाल कर लोगों को जागरूक किया। साथ ही कई जगहों पर ग्रामीण स्तर पर मास्क बनाकर वितरण और स्वास्थ्य जाँच की सुविधा उपलब्ध कराई। इसके अलावा लोक जागरण मंच, एशोसिएसन फ़ॉर कॉम्यूनिटी रिसर्च एंड एक्शन (एकरा) का भी योगदान सराहनीय है। ये दोनों संस्थान भी राहत और मेडिकल सुरक्षा सामग्री वितरण कर देश के कई हिस्सों में लगातार जागरुकता अभियान चला रहें हैं।

ग़ौरतलब ये है कि इस अभियान में भरपूर तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। एक सर्व के मुताबिक़ जहां ज़्यादातर लोग व्हाट्सएप के ज़रिए कोरोनावायरस से बचाव व संक्रमण की जानकारी प्राप्त कर रहें, वहीं आधे से ज़्यादा लोग सोशल मीडिया पर अफ़वाहों के भी शिकार हो रहे हैं। हाल ही में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी वैज्ञानिक समझ प्रदान करने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) ने संचार सामग्री का एक पैकेज पेश किया है। इससे पहले डिजिटल एंपावरमेंट फ़ाउंडेशन जैसी संस्थाओं ने भी व्हाट्सएप, फ़ेसबुक और टिकटॉक के साथ मिलकर देश को कोने-कोने में फेंक न्यूज़ के ख़िलाफ़ अभियान चलाया था। साथ ही सरकार ने भी फेंक न्यूज़ और अफ़वाह फैलाने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कर्रवाई के निर्देश दिए हैं।

हालांकि, डिजिटल एंपावरमेंट फ़ाउंडेशन से संबंध रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता म. सईद सिद्दीक़ी ने बुधवार को बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप (जन-जन की आवाज़) और ऑनलाइन ट्रैकर के माध्यम से ही उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्रा, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में बिहार और खासकर चंपारण के रहने वाले मजबूर और लॉकडाउन में फँसे हुए लोगों की जानकारी मिल रही है।  उनके लिए संबंधित राज्यों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के जरिए भोजन, आवास एवं चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के प्रयास भी किया जा रहा हैं। इस तकनीक की मदद से ही अब तक क़रीब ४०० से अधिक मज़दूरों को स्थानीय प्रशासन द्वारा देश भर में चलाए जा रहे राहत शिविरों तक सुरक्षित पहुँचाया जा चुका है।

        फ़ोटो – डा. राशिद अज़ीम राहत सामग्री वितरण स्थल पर

उन्होंने बताया कि प्रदेश में लॉकडाउन की स्थिति ठीक चल रही है। पीड़ितों और प्रभावितों की सहायता के लिए सामाजिक संस्था और कार्यकर्ता लगातार काम कर रहे हैं। महामारी के खिलाफ लड़ाई में संसाधन जुटाने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी देते हुए श्री सिद्दीक़ी ने बताया कि स्थानिय मदद  से राशन और अनाज आदि की व्यवस्था की गई हैं। इससे पहले डा. राशिद अजीम की तरफ़ से भी असहाय लोगों की मदद और फ़्री में कोरोना जाँच की व्यवस्था की गई, जिसमें चंपारण ज़िले के कई प्रखंडों में गरीब लोगों को फ़ायदा पहुँचा। इसके अलावा डॉक्टर अज़ीम राहत और कोरोना संक्रमण से बचाव अभियान को जारी रखने के लिए मिलाप के ज़रिए ऑनलाइन फंडरेजिंग भी कर रहे हैं। 

सिद्दीक़ी ने बताया कि देश भर में फँसे बिहारवासियों की मदद बिना डिजिटल एंपावरमेंट फ़ाउंडेशन जैसी सामाजिक संस्था के मुमकिन नहीं था। जहां डिजिटल एंपावरमेंट फ़ाउंडेशन ने तकनीकी रूप से सक्षम हज़ारों ग्रामीण कार्यकर्ताओं को आपदा से निपटने के लिए उतारा है, वहीं एशोसिएसन फ़ॉर कॉम्यूनिटी रिसर्च एंड एक्शन (एकरा) और लोक जागरण मंच ने असहाय लोगों तक पहुँचने में मदद की। इसके साथ ही बापू की कर्मभूमि चंपारण के वरिष्ठ समाजसेवियों विशेषकर म. सलाउद्दीन, श्याम नारायण पांडेय का आशिर्वाद और मार्गदर्शन रहा।

आगे के कार्यक्रम के सवाल पर उन्होंने कहा कि फ़िलहाल  मास्क, सैनिटाइजर और राशन आदि की खरीद के लिए संसाधन की ज़रूरत है। जिसे जिला प्रशासन और स्वंयसेवी संस्थाओं के समक्ष जल्द से जल्द उपलब्ध कराने की बात रखी गई है। 

मालूम हो कि कोरोना संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है। इसके बचाव के लिए जागरूकता और सतर्कता ही एकमात्र विकल्प है। ताज़ा जानकारी के मुताबिक़ कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़कर क़रीब १८५० तक पहुँच गई है जबकि इस जानलेवा वायरस ने तक़रीबन ४१ लोगों की जान ले ली है।

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