सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम होने पर भी बरकरार रह सकता है पीएसयू टैग


केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की नई परिभाषा गढ़ने पर विचार कर रही है, जिसके तहत कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम होने पर भी कंपनी के पास पीएसयू का टैग बना रहेगा।

केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में इस बात का संकेत दिया है कि सरकार कानून में संशोधन पर विचार कर सकती है, जिससे कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम होने पर भी कंपनी के पास पीएसई (सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम) का टैग बना रहेगा।

गर्ग ने कहा, “पीएसयू कंपनी की परिभाषा के अनुसार, कंपनी में केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी होनी चाहिए। अगर इसमें कमी आती है तो यह सरकारी कंपनी नहीं रह जाती है। आज कानून यही कहता है। तार्किक रूप से हम इसमें बदलाव कर सकते हैं।”

हालांकि वित्तमंत्री ने अभी तक इस मसले पर विचार नहीं किया है, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया है कि सरकारी 40 फीसदी हिस्सेदारी वाली कंपनी पीएसयू की परिभाषा में आ सकती है और कुछ गैर-रणनीतिक कंपनियों के मामले में सरकार की 26 फीसदी हिस्सेदारी वाली कंपनी भी पीएसयू कहला सकती है।

सूत्रों के अनुसार, इससे न सिर्फ पीएसयू के बोर्ड को निर्णय लेने में लचीलापन आएगा, बल्कि इससे केंद्र सरकार विनिवेश के जरिए अतिरिक्त राजस्व जुटा सकती है।

इसके अलावा, वित्तमंत्री द्वारा कुछ पीएसयू को एलएंडटी जैसे बोर्ड से संचालित निजी कंपनी में बदला जा सकता है।

गर्ग ने संकेत दिया है कि केस के आधार इस मार्ग का भी अनुकरण किया जा सकता है।

गर्ग ने कहा, “जब यह फैसला (सरकारी हिस्सेदारी कम करने का फैसला) लिया जाएगा तो सरकार सावधानीपूर्वक यह निर्णय लेगी कि किसी कंपनी विशेष के लिए सरकारी कंपनी का टैग जरूरी है या नहीं।”

मौजूदा परिभाषा के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) के तहत वे कंपनियां आती हैं, जिनमें केंद्र सरकार की सीधी हिस्सेदारी 51 फीसदी या उससे अधिक है।

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