संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में उठा पाक के अलावा, रूस- यूक्रेन का भी मुद्दा, “दिल्ली घोषणापत्र” जारी 

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति (UNSC CTC) की पिछले दो दिनों से देश के दो शहरों में चली बैठक के बाद शनिवार को दिल्ली घोषणापत्र जारी किया गया। दो दिवसीय बैठक में नई और उभरती तकनीकों से पैदा आतंकी खतरों के खिलाफ मजबूत उपाय करने पर सहमति बनी, जिसके बाद ।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति ने घोषणापत्र जारी किया।

फ़ोटो- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के लिए दिल्ली घोषणापत्र जारी करते हुए।

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के लिए जारी इस घोषणापत्र में मुख्य तौर पर नई व उभरती तकनीक को आतंकवादी संगठनों की पहुंच से बाहर रखने के लिए एक वैश्विक रणनीति बनाने का रोडमैप है।

‘दिल्ली घोषणापत्र’ (Delhi Declaration) नामक यह दस्तावेज़, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई और उभरती टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल पर लगाम कसने पर केंद्रित है। बैठक के दौरान इस चुनौती के अनेक पहलुओं पर चर्चा हुई थी। यह बैठक 28 अक्टूबर को मुंबई के ताज होटल और 29 अक्टूबर को नई दिल्ली ताज पैलेस में आयोजित की गई थी, जिसमें सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, यूएन अधिकारियों, नागरिक समाज संस्थाओं, निजी सैक्टर और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया था।

इस बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ कई मुद्दों को उठाया था।  उन्होंने पाकिस्तान और चीन को भी आड़े हाथ लिया था। साथ ही आतंकवाद में नई तकनीकों के इस्तेमाल पर रोक लगाने पर जोर दिया था। 

इसी मुद्देनजर, अगर यह रोडमैप अगर सही तरीके से हर देश लागू करते हैं तो किसी भी देश के लिए आतकंवाद को शरण देना और आतंकवादी संगठनों व आतंकवादियों को वित्तीय मदद पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा। इसमें सभी सदस्य देशों से कहा गया है कि वो आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह को पहचानने में और इन्हें शरण देने वाले, वित्त सुविधा देने वाले, समर्थन करने वालों को घरेलू व अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक सजा दिलाने में मदद करेंगे।

एक्सपर्ट का कहना है कि इसके जरिए आतंकवाद को आधिकारिक नीति के तहत मदद कर रहे पाकिस्तान को घेरने में मदद मिल सकती है। इसमें कई ऐसे बिंदू हैं, जिन्हें वैश्विक मंचों पर भारत लंबे समय से उठाता रहा है।  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि समाज को अस्थिर करने के उद्देश्य से दुष्प्रचार, कट्टरता और षड्यंत्र फैलाने के लिए आतंकियों और आतंकवादी समूहों के टूलकिट में इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म शक्तिशाली हथियार बनते जा रहे हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी शनिवार को स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की तरफ इशारा किया था। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था उन देशों को आगाह करने के लिए प्रभावी है, जिन्होंने आतंकवाद को राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम बना लिया है। दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद रोधी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने आतंकवाद को मानवता के लिए ‘‘सबसे गंभीर खतरों में से एक’’ बताया।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के बावजूद आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है, खासतौर से एशिया और अफ्रीका में। ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पिछले दो दशकों में आतंकवाद से निपटने के लिए मुख्य रूप से आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था के आसपास निर्मित महत्वपूर्ण संरचना विकसित की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उन देशों को आगाह करने के लिए बहुत प्रभावी रही है, जिन्होंने आतंकवाद को राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम बना लिया है.।’

जयशंकर ने कहा, ‘‘इसके बावजूद आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है, खासतौर से एशिया और अफ्रीका में, जैसा कि 1267 प्रतिबंध समिति निगरानी रिपोर्टों में बार-बार उल्लेख किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि खुले समाज के लोकाचार का इस्तेमाल आजादी, सहिष्णुता और प्रगति पर हमला करने के लिए किया जा रहा है। विदेश मंत्री ने आतंकवादी समूहों द्वारा नई प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया मंच ‘‘आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों की टूलकिट’’ में प्रभावशाली उपकरण बनकर उभरे हैं।

दिल्ली घोषणापत्र में सभी सदस्य देशों से कहा गया है कि वो आतंकवाद को लेकर शून्य सहनशीलता का नियम अख्तियार करेंगे। इसमें हर तरह के आतंकवाद को पूरी दुनिया की शांति व सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा करार दिया गया है। इसमें यह भी स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी खास समूह के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

इस घोषणा पत्र के जारी होने से पहले जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा था, ‘‘हाल के वर्षों में, खासतौर से खुले और उदार समाज में आतंकवादी समूहों, उनके वैचारिक अनुयायियों और अकेले हमला करने वाले लोगों ने इन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हासिल करके अपनी क्षमताएं बढ़ा ली हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे आजादी, सहिष्णुता और प्रगति पर हमला करने के लिए प्रौद्योगिकी और पैसा तथा सबसे जरूरी खुले समाज के लोकाचार का इस्तेमाल करते हैं।’’ जयशंकर ने कहा कि आतंकवादी समूहों और संगठित आपराधिक नेटवर्कों द्वारा मानवरहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल ने दुनियाभर में सरकारों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘रणनीतिक, बुनियादी और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल की आशंकाओं पर सदस्य देशों को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।’’

घोषणापत्र में कहा गया है कि सभी सदस्य देशों की यह जिम्मेदारी है कि वह आतंकवादी गतिविधियों को किसी भी तरह (परोक्ष या प्रत्यक्ष) से मदद नहीं करेंगे। आतंकवादी समहूों में युवाओं को शामिल करने या उन्हें हथियारों की आपूर्ति को रोकना भी सरकारों का दायित्व होगा। दिल्ली घोषणापत्र में यह भी कहा गया है कि सभी सदस्य देशों का यह दायित्व होगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधियों व समझौतों को लेकर अपने कर्तव्यों का निर्वहण करें।

फ़ोटो- घोषणा पत्र जारी होने के बाद चर्चा के दौरान सभी १५ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने अपने -अपने पक्ष रखे।

मालूम हो कि घोषणा पत्र जारी होने के बाद चर्चा के दौरान सभी १५ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने अपने -अपने पक्ष रखे। हालाँकि, चर्चा में जहां नई तकनीक (एआई, ड्रोन), समाजिक संस्थाओं के महत्व और सोशल मीडिया की साकारात्मक उपयोगिता को लेकर नए उपायों और नियंत्रण की बात हुई, वहीं यूक्रेन में जारी घटनाक्रम के मुद्देनजर पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ रूसी प्रतिनिधि का कड़ा तेवर भी देखने को मिला।

दरअसल,  क्रीमिया के सेवस्तोपोल बंदरगाह पर रूसी नौसैनिक बलों के खिलाफ ड्रोन हमले पर रूसी प्रतिनिधित्व ने यूके और अमेरिका की कड़ी आलोचना की। बयान देते हुए, रूसी प्रतिनिधि ने दावा किया कि पश्चिम देश, मुख्य रूप से यूके, यूक्रेन सरकार को यूएवी की आपूर्ति करता है।उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि कीव शासन को ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस सहित पश्चिमी शासन द्वारा उन उपकरणों द्वारा आपूर्ति की जाती है।” 

हालाँकि, ये कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि रूसी राजनयिक ने नई दिल्ली में यूएनएससी पैनल की बैठक में ब्रिटेन पर ड्रोन हमले में “प्रत्यक्ष भागीदारी” का आरोप लगाते हुए इस मामले को उठाया।  पश्चिमी देशों ने भी ईरान पर रूस को सैन्य-ग्रेड ड्रोन की आपूर्ति करने का आरोप लगाया है, लेकिन तेहरान और मॉस्को इससे इनकार करते रहे हैं।

इससे पहले फ्राँसीसी प्रतिनिधि ने भी अपने संबोधन में जिक्र करते हुए कहा कि “युद्ध के मैदान पर”, अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए कई देश “अंधाधुंध रूप से” मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) का उपयोग कर रहे हैं। इन आरोपों और प्रत्यारोपों के बावजूद सदस्य देशों ने एकमत से आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आगे बढ़ने पर सहमति जताई।  

आइए आख़िर में एक नज़र डालते हैं कि आख़िर क्या है इस घोषणा पत्र में…

दिल्ली घोषणा पत्र के कुछ मुख्य बिंदु;

  • इस बात पर सहमति जताई गई है कि आतंकवाद हर आकार और शक्ल में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों को अधिक कारगर बनाने की जरूरत है।
  • आतंकवाद को किसी जाति धर्म, नागरिकता या सभ्यता से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
  • इस बात पर चिंता जताई गई कि इंटरनेट और सोशल मीडिया समेत सूचना व संचार साधनों का इस्तेमाल आतंकी कामों के लिए बढ़ रहा है।
  • क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म जैसे वित्तीय तकनीकों के आतंकी फंडिंग में दुरुपयोग का खतरा मौजूद है।
  • वैश्विक स्तर पर मानव रहित विमानों का क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर हवाई हमलों के लिए बढ़ता इस्तेमाल चिंताजनक है।
  • सभी सदस्य देशों से आग्रह किया गया कि वह आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएं, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उनकी जिम्मेदारी भी है।
  • नई और उभरती तकनीकों के आतंकी इस्तेमाल पर चर्चा को G20 समिट और अंतरराष्ट्रीय मंचो पर भी जारी रखा जाना चाहिए
  • एक समग्र आतंकवाद निरोधक संधि के लिए प्रयास जारी रहना चाहिए।
  • नई तकनीकों का आतंकी इस्तेमाल रोकने के लिए निजी क्षेत्र सिविल सोसाइटी संगठनों और महिला संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
  • संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा ‘आतंकवाद के खिलाफ तकनीक’ जैसा प्रयास महत्वपूर्ण है।
  • यह जरूरी है कि आईएसआईएस, अलकायदा और इनसे जुड़े संगठनों की तरफ से आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए लोगों की भर्ती के प्रयासों को प्रभावी तरीके से रोका जाए।
  • आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी प्रचार और तकनीकों का इस्तेमाल करते रहना जरूरी है।
  • वर्चुअल ऐसेट और वर्चुअल ऐसेट सर्विस प्रोवाइडर संस्थाओं के संबंध में एफएटीएफ के प्रयास महत्वपूर्ण है
  • बैठक में तय किया गया कि नई भुगतान और फंडरेजिंग तकनीकों के आतंकी इस्तेमाल को रोकने और मानव रहित विमानों के दुरुपयोग की रोकथाम को लेकर सदस्य देश प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे।

-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी; Follow via Twitter @shahidsiddiqui

 

 

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