शिवराज की भ्रष्ट कर्मचारियों और अफसरों पर पैनी नजर

शिवराज सिंह चौहान से जुड़े लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास से हर जिले में योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संवाद किया जा रहा है और इस दौरान कई ऐसी जानकारियां उनके पास आ रही हैं जो आसानी से सुलभ नहीं होती, क्योंकि अधिकारी गड़बड़ियों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री ने अपना एक अलग से खुफिया तंत्र विकसित कर लिया है।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि एक जिले के कलेक्टर से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने उस इलाके के भ्रष्ट अफसरों की सूची तक उन तक पहुंचा दी और कार्रवाई के निर्देश भी दिए। ज्यादातर शिकायतें आवास निर्माण से लेकर राशन वितरण और पानी व बिजली से जुड़ी आ रही हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क विकसित करें और भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई भी करें। उन्होंने समीक्षा के दौरान राजगढ़ जिले में राशन वितरण में गड़बड़ी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसके साथ ही आवास योजना में गड़बड़ी होने पर सात कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त की गई हैं। मुख्यमंत्री हर बैठक में साफ कह रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल चाहते हैं।

मुख्यमंत्री द्वारा एक कलेक्टर को भ्रष्ट अधिकारियों की सूची सौंपे जाने के मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने तंज कसा है और सवाल किया है।

सीएम बड़े या डीएम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा के भ्रष्ट अधिकारी की सूची कार्रवाई के लिए कलेक्टर को सौंपी, क्या सीएम उन पर कार्रवाई के लिए अक्षम है, जिस कलेक्टर के मातहत इतन भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उन्हें पद पर रहने का क्या अधिकार है, क्या वह डीएम इन की निष्पक्ष जांच कर पाएंगे और जब सीएम को इनके भ्रष्टाचार की जानकारी है तो यह अधिकारी अभी तक बचे कैसे हैं। यह कैसी जीरो टॉलरेंस नीति है।

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