विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में एक बार फिर रही भारत की झोली खाली


एशियाई चैंपियन गोपी थोनाकल रविवार को मैराथन में 21वें स्थान पर रहे। भारत ने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने अभियान का अंत मिश्रित सफलता के साथ किया। भारत की 27 सदस्यीय टीम से किसी पदक की उम्मीद नहीं थी लेकिन टीम ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया। मिश्रित चार गुणा 400 मीटर रिले, पुरुष 3000 मीटर स्टीपलचेज और महिलाओं के जेवलिन थ्रो के फाइनल में जगह बनाई।

लंबी कूद में 2003 में अंजू बॉबी जॉर्ज का कांस्य पदक इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में अब तक भारत का एकमात्र पदक है। फाइनल में जगह बनाने वाले स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले और मिश्रित चार गुणा 400 मीटर टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए थी क्वालिफाई किया। जेवलिन थ्रो में अन्नू रानी आठवें स्थान पर रही वह फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। अविनाश ने तीन दिन में दो बार अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा।

बीजिंग से बेहतर प्रदर्शन
बीजिंग में 2015 विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में तीन भारतीयों ने जगह बनाई थी जबकि 2017 में लंदन में के फाइनल में सिर्फ एक भारतीय पहुंचा था। गोपी ने दो घंटे 15 मिनट और 57 सेकंड का समय लिया और स्पर्धा को पूरा करने वाले 55 धावकों में शीर्ष हाफ में जगह बनाई। इस स्पर्धा का आयोजन लगभग 29 डिग्री सेल्सियस तापमान और लगभग 50 प्रतिशत आर्द्रता में किया गया। मध्यरात्रि से ठीक पहले हुई मैराथन की शुरुआत 73 धावकों ने की थी लेकिन 18 खिलाड़ी इसे पूरा नहीं कर पाए।

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