वाल्मिकी व्याघ्र अभयारण्य को कैमूर वन क्षेत्र बनाने का फैसला, मिलेगी अब नई पहचान!

करीब 900 वर्ग किमी में फैले वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना को आखिरकार पहचान मिल ही गई। अब वालिमिकी व्याघ्र अभयारण्य क्षेत्र को बढ़ाकर कैमूर वन क्षेत्र को भी व्याघ्र अभयारण्य क्षेत्र बनाने का फैसला ले लिया गया है। कैमूर जंगल तीन राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से घिरा हुआ है। इस फैसले से देश-विदेश के पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण के केंद्र के साथ रोजगार का भी जरिया बनेगा।

इसके अलावा वाल्मीकिनगर में ईको टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं, जैसे गंडक बराज के जलाशय का नजारा एवं टाइगर रिजर्व की खूबसूरती पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काफी है।

हालांकि बम्बू हट और अन्य सुविधाओं को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग पहले से ही प्रयासरत है। इसके अलावा ईको टूरिज्म को और अधिक बढ़ावा देने के बिंदु पर रणनीति बनाई जा रही है। स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित कर रोजगार भी देने की भी योजना है। अगर सबकुछ सामान्य रहा है और सभी तथ्य अनुकूल पाए गए, तब इसे व्याघ्र अभयारण्य घोषित करने के साथ-साथ अन्य जीव जंतुओं को सुरक्षित करने की व्यवस्था की जाएगी।

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, वाल्मीकिनगर व्याघ्र अभयारण्य क्षेत्र करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैला है। हाल में जारी बाघों की संख्या के आंकड़ों के मुताबिक यहां 31 बाघ हैं। इसके अलावा तेंदुआ, भालू, हिरण, लोमड़ी, गीदड़, जंगली कुत्ते समेत अन्य शाकाहारी और मांसाहारी वन्यजीवों की यह आश्रयस्थली है। वन्यजीवों में वृद्धि के कारण यह अभयारण्य अब छोटा पड़ रहा है। यही कारण है कि सरकार अब अन्य क्षेत्रों में बाघ अभयारण्य बनाने पर विचार कर रही है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाल्मीकिनगर अभयारण्य क्षेत्र की तुलना में कैमूर वन क्षेत्र का क्षेत्रफल करीब दोगुना है। हालांकि वाल्मीकिनगर अभयारण्य क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अन्य विकल्प पर भी काम शुरू किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे इस क्षेत्र पर्यटन से जुड़ी सभी सुविधाएं उपलब्ध करा कर इसे भी बोधगया और राजगीर की तरह बनाया जाएगा। ऐसी व्यवस्था होने से आने वाले समय में यह व्याघ्र अभ्यारण्य बिहार के रमणीक स्थल के रूप में जाना जाएगा।

-डॉ. म शाहिद सिद्दीकी
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