लॉकडाउन के बाद बने संगीत में इस अवधि की यादें होंगी : शुजात खान

नई दिल्ली, -इमादखानी घराना के सितार वादक व ग्रैमी नामित संगीतकार शुजात खान, जिन्होंने 60 से अधिक एल्बम दी हैं का कहना है, “मेरा विश्वास करो, एक लाइव कॉन्सर्ट में संगीत के पारखियों के साथ इंट्रैक्शन की भावना सबसे अच्छी भावना है, जिसकी आशा एक कलाकार करता है। और फिलहाल ऐसा नहीं कर पाना मुझे बहुत दुखी कर रहा है।

खान ने आगे कहा कि जीवन में जो कुछ भी होता है वह संगीत को प्रभावित करता ही है। तो, आखिरकार जब कोरोनोवायरस का डर खत्म होगा और वे एक ऑडिटोरियम में लाइव कॉन्सर्ट का आयोजन करेंगे, तो प्रदर्शन के दौरान संगीत या राग में अपने आप ही इस अवधि की यादों का प्रभाव नजर आएगा, चाहे वह सुखद यादें हो या दुखद।

उन्होंने कहा, “दुखी यादों में ऐसे उदाहरण शामिल होंगे कि कैसे वंचित लोग लॉकडाउन से प्रभावित हुए और सुखद यादों में लोग दूसरों की मदद के लिए आगे आएंगे।

खान, जो हाल ही में एचसीएल डिजिटल कॉन्सर्ट का हिस्सा बने थे, उनको लगता है कि इंटरनेट के माध्यम से इस तरह के संगीत निश्चित रूप से श्रोताओं को इस चुनौतीपूर्ण समय में खुशी देते हैं।

उन्होंने कहा, “यह देखना प्यारा है कि भारत और विदेशों में भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों को बढ़ावा देने के लिए एचसीएल जैसे कॉरपोरेट के लोगों ने किस तरह कदम आगे बढ़ाया है। संगीत का हर रूप लोगों के बीच ऊर्जा का आदान-प्रदान है।

वहीं उनसे पूछे जाने पर कि क्या वह अभी भी अजीब महसूस करते हैं, जब उनकी तुलना उनके महान पिता उस्ताद विलायत खान से होती है, जिन्हें भगवान कहा जाता है, इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा, “वैसे ठीक है, भगवान का बेटा होना भी बुरा नहीं है और मैंने इस बात का आनंद लिया है कि मैं उनका बेटा हूं।

मेरे करियर की शुरुआत में निश्चित रूप से मेरे पिता के साथ मेरे काम की तुलना की गई थी। हालांकि, पिछले 10 से 15 वर्षों में मैंने खुद को बेहतर किया है।

मुझे सुनने आने वाले श्रोताओं को मेरा काम पसंद आया तभी वो आए, न कि इसलिए आए कि मैं उस्ताद विलायत खान का बेटा था।”

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