अधिकारियों ने संकेत दिया है कि रूस फिलहाल तालिबान को आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने पर विचार कर रहा है. इस संबंध में हालांकि अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन उनके बढ़ते सौहार्दपूर्ण संबंधों का एक संकेत मई में रूस के कजान शहर में आयोजित होने वाले एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच के लिए तालिबान का निमंत्रण है. रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने पहले भी तालिबान के साथ चर्चा शुरू की है, और जब संगठन ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया तो रूस एक राजनयिक को मान्यता देने वाले कुछ देशों में से एक था.
अफगानिस्तान के राजनीतिक एवं आर्थिक संकट और यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों का मतलब है कि दोनों पक्षों को मजबूत रिश्ते से कुछ हासिल करना होगा. वर्ष 1999 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1267 को अपनाया था. कुछ महीने बाद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को लागू करने और तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने संबंधी एक डिक्री पर हस्ताक्षर किए.
रूस के उच्चतम न्यायालय ने 2003 में तालिबान को आतंकवादी संगठन घोषित करते हुए कहा कि इसने चेचन्या में अवैध सशस्त्र बलों के साथ संबंध बनाए रखे और उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान तथा किर्गिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश की. रूस ने खुद को एक शांति दूत के रूप में पेश करने प्रयास के रूप में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत के लिए 2017 में एक क्षेत्रीय पहल शुरू की. इन वार्ताओं का उद्देश्य अफगानिस्तान संकट का समाधान निकालना था.
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से, किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. तालिबान चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध वापस लिए जाएं और जब्त की गई संपत्तियों को मुक्त किया जाए ताकि देश के आर्थिक विकास में मदद मिल सके.