मोदी के खिलाफ 2002 के दंगों की याचिका कई बार स्थगित की गई : सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की दाखिल याचिका को पहले कई बार स्थगित
किया जा चुका है, और अब इस पर किसी दिन सुनवाई करनी होगी.

जाकिया ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 दंगों के मामले में एसआईटी की क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट ने इसकी अगली सुनवाई की तारीख 14 अप्रैल तय कर दी.

कोर्ट ने कहा तारीख पर सभी मौजूद रहें

जाकिया जाफरी की ओर से पेश वकील अपर्णा भट ने न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ के समक्ष कहा कि मामला टेढ़ा है और उन्होंने इस पर स्थगन की मांग की. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह मामले पहले ही कई बार स्थगित किया जा चुका है और इस पर किसी दिन सुनवाई करनी होगी. इस पर कोर्ट ने कहा, “एक तारीख लीजिए और सुनिश्चित करें की सभी मौजूद रहें.”

जाफरी के वकील ने कोर्ट से मामले को होली की छुट्टी के बाद लिस्टेड करने का आग्रह किया.

‘कोर्ट नोटिस जारी करे’
भट ने पहले कोर्ट से कहा था कि वह याचिका पर नोटिस जारी करे, क्योंकि यह मामला 27 फरवरी, 2002 से मई 2002 तक की कथित साजिश से जुड़ा है.

बता दें 28 फरवरी, 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी में जाफरी सहित 68 लोगों की हत्या कर दी गई थी. यह घटना गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच के जलने से 59 लोगों की मौत के बाद हुई और गुजरात में दंगे भड़क गए थे. फरवरी 2012 में एसआईटी ने मोदी और 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट देते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. इस रिपोर्ट में ठोस साक्ष्य नहीं मिलने का हवाला दिया गया.

जाकिया जाफरी ने गुजरात हाईकोर्ट के अक्टूबर 2017 के आदेश को चुनौती देते हुए 2018 में शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. गुजरात हाईकोर्ट ने एसआईटी फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.

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