मिशन मोड में टेक्निकल टेक्सटाइल तैयार करेगा भारत, कैबिनेट ने दी मंजूरी


भारत अब मिशन मोड में विभिन्न क्षेत्रों के लिए तकनीकी कपड़ा (टेक्निकल टेक्सटाइल) तैयार करेगा और इस क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में अपना मुकाम बनाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इसके लिए राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन को मंजूरी प्रदान की। चार वर्षीय इस मिशन पर कुल 1,480 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन का मकसद कृषि, खेल, चिकित्सा समेत विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ सेना के उपयोग में आने वाले तकनीकी कपड़े तैयार करने में भारत को दुनिया में अग्रणी बनाना है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को संसद में आम बजट पेश करते हुए राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन की घोषणा की थी। इस मिशन के कार्यान्वयन के लिए 2020-21 से 2023-24 तक की अवधि निर्धारित की गई है।

इस मिशन के चार घटक होंगे जिनमें पहला घटक अनुसंधान, नवाचार और विकास होगा, जिस पर 1000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके तहत कार्बन, फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्पोजिट के क्षेत्र में मौलिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, जियो-टेक्सटाइल्स, एग्रो-टेक्सटाइल्स, मेडिकल टेक्सटाइल्स, मोबाइल टेक्सटाइल्स और स्पोर्ट्स टेक्सटाइल्स के क्षेत्र अनुप्रयोग आधारित अनुसंधान को बढ़ावा देने के अलावा बायोडिग्रेडेबल टेक्निकल टेक्सटाइल्स का विकास किया जाएगा।

मिशन का दूसरा घटक संवर्धन और विपणन विकास है जिसके तहत मिशन मोड में भारत के तकनीकी कपड़ा बाजार का विकास करना है। सरकार ने इस क्षेत्र में मेक इन इंडिया की पहल के माध्यम से सालाना 15-20 फीसदी की औसत विकास दर के साथ 2024 तक भारत के तकनीकी कपड़ा बाजार का आकार 40-50 अरब डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में भारतीय तकनीकी कपड़ा का बाजार तकरीबन 16 अरब डॉलर का है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी कपड़ा बाजार का करीब 6 प्रतिशत है।

तीसरे घटक के तौर पर इसका निर्यात बढ़ाया जाएगा। सरकार ने तकनीकी कपड़ा का निर्यात बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये का करने का लक्ष्य रखा है जो वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपये है। इसके बाद वर्ष 2023-24 तक प्रति वर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसके अलावा, चौथे घटक के रूप में शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा। सरकार की ओर से एक बयान में कहा गया कि देश में शिक्षा, कौशल विकास और मानव संसाधन तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और तेजी से उभरते तकनीकी कपड़ा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह मिशन उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्तर पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाएगा। कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का पर्याप्त भंडार तैयार करेगा ताकि अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी कपड़ा विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता की पूर्ति हो सके।

इसे शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *