माले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मालदीव पहुंचे। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने प्रधानमंत्री मोदी को निशान इज्जुद्दीन से सम्मानित किया। यह विदेशी प्रतिनिधियों को दिया जाने वाला मालदीव का सबसे बड़ा सम्मान है। मोदी ने मालदीव की संसद मजलिस को भी संबोधित किया।
मालदीव की संसद में मोदी ने कहा, “आपके बीच मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि मालदीव में लोकतंंत्र की मजबूती के लिए भारत और हर भारतीय आपके साथ था और साथ रहेगा। भारत में भी हाल ही में मानव इतिहास की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी की। 130 करोड़ भारतीयों के लिए यह सिर्फ चुनाव नहीं, लोकतंत्र का महोत्सव था। दो-तिहाई से ज्यादा यानी 60 करोड़ मतदाताओं ने वोट किया। मेरी सरकार का मूलमंत्र सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में मेरी सरकार की विदेश नीति का यही आधार है। पड़ोसी हमारी प्राथमिकता हैं और इसमें मालदीव की प्राथमिकता स्वाभाविक है।”
मोदी ने कहा, “भारत के सहयोग का आधार लोक कल्याण रहेगा। हमने आज दोनों देशों के बीच समझौता किए। मुझे इस बात की भी खुशी है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार आने वाले मालदीव के नागरिकों को वीजा सुविधा दी गई है। आपसी सहयोग को आगे बढ़ाते हुए आज के संसार की गहन चिंताओं का ध्यान रखना है।”
”ऐसी कोई जगह नहीं है, जहा आतंकवाद अपना भयानक रूप दिखाकर किसी निर्दोष की जान ना ले। उनके ना अपने बैंक हैं, ना संस्था और ना फैक्ट्री। फिर भी उन्हें धन और हथियारों की कमी नहीं होती। उन्हें ये कौन देता है।”
”आतंकवाद की स्टेट स्पॉन्सरशिप सबसे बड़ा खतरा है। लोग अभी भी गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म का भेद करने की गलती कर रहे हैं। पानी अब सर से ऊपर निकल रहा है। आतंकवाद की चुनौती से भली प्रकार से निपटने के लिए सभी मानवतावादी शक्तियों का एकजुट होना जरूरी है। इससे निपटना विश्व के नेतृत्व की सबसे बड़ी चुनौती है जिस तरह विश्व समुदाय ने पर्यावरण के खतरे पर विश्वव्यापी सम्मेलन किए, वैसे आतंकवाद के विषय में क्यों नहीं हो सकते।”
”मैं सभी प्रमुख देशों से अपेक्षा करूंगा कि एक समयसीमा के भीतर आतंकवाद पर ग्लोबल कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाए। ताकि आतंकवादी जिन खामियों का फायदा उठाते हैं, उन्हें खत्म करने पर विचार हो। अगर देर की तो आज और आज के बाद आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”मालदीव यानी हजार से अधिक द्वीपों की माला। यह हिंद महासागर का ही नहीं, पूरी दुनिया का नायाब नगीना है। इसकी असीम सुंदरता और प्राकृतिक सुंदरता हजारों साल से आकर्षण का केंद्र रही है। प्रकृति के साहस के सामने मानव के ये अदम्य साहस का उदाहरण है। मालदीव और इस मजलिस में आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे हर्ष हो रहा है। आपकी संसद ने सर्वसम्मति से मुझे निमंत्रण देने का फैसला लिया। आपके इस व्यवहार ने हर भारतीय के दिल को छू लिया है।”
मोदी ने कहा, “मैं दूसरी बार मालदीव आया हूं। दूसरी बार संसद की ऐतिहासिक कार्रवाई का साक्षी बना। पिछले वर्ष मैं बहुत खुशी और गर्व के साथ राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में शामिल हुआ था। खुले स्टेडियम में यह समारोह आयोजित हुआ था। उस दिन मालदीव में लोकतंत्र की ऊर्जा को महसूस कर मुझे रोमांच का अनुभव हुआ। उस दिन मैंने मालदीव में लोकतंत्र के प्रति आम नागरिक के समर्पण को और प्यार-आदर को भी देखा। यह सदन ईंट-पत्थर से बनी इमारत नहीं है। यह लोकतंत्र की वह ऊर्जा भूमि है, जहां देश की धड़कनें आपकी आवाज और विचारों में घूमती हैं। यहां लोगों की आशाएं और सपने सच में तब्दील होते हैं। यहां लोग सामूहिक संकल्प को सिद्धि में बदलते हैं।”
मोदी ने कहा, ”आज मुझे मालदीव के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित करके, आप सबने मुझे ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष को एक नया गौरव दिया है। भारत प्राकृतिक आपदा या किसी भी समस्या में हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है।”
इससे पहले माले के रिपब्लिक स्क्वॉयर में मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के साथ बैठक की। मोदी ने सोलिह को भारतीय क्रिकेट टीम के हस्ताक्षर वाला बल्ला भेंट किया।
ये दूसरी बार है, जब मोदी मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं। इससे पहले मोदी पिछले साल राष्ट्रपति सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव गए थे। मोदी सरकार की नेबर फर्स्ट (पड़ोसी पहले) की पॉलिसी रही है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे।
रविवार को श्रीलंका दौरे पर जाएंगे मोदी
मोदी मालदीव से 9 जून को श्रीलंका दौरे पर जाएंगे। 21 अप्रैल को श्रीलंका में हुए बम धमाकों के बाद मोदी वहां जाने वाले पहले विदेशी नेता होंगे। हालांकि, वे यहां कुछ ही घंटे बिताएंगे। मोदी राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से मुलाकात करेंगे। श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए बम धमाकों में 11 भारतीय समेत 258 लोगों की जान चली गई थी।
प्रधानमंत्री रहते मोदी का यह तीसरा श्रीलंकाई दौरा है। इससे पहले वे 2015 और 2017 में भी श्रीलंका दौरे पर जा चुके हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी का यह दौरा श्रीलंका सरकार को यह बताने के लिए है कि इस आपदा में हम उनके साथ बराबरी से खड़े हैं। मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि आतंकवाद से निपटने में भारत सरकार श्रीलंका की पूरी मदद करेगा।