भोपाल -मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ अब मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए हैं। करीब पांच महीने से नेता प्रतिपक्ष को लेकर छाए सस्पेंस को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने बुधवार को समाप्त करते हुए विधानसभा सचिवालय को पत्र भेज दिया है। कमल नाथ प्रदेश के 23वें नेता प्रतिपक्ष होंगे।
प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कमल नाथ को नेता प्रतिपक्ष के बतौर प्रोटोकाल दिए जाने का भी आदेश जारी कर दिया गया है। मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार के गिरने और शिवराज सरकार के काम संभालने के करीब पांच महीने बाद कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष का फैसला किया है। इस बीच एक व्यक्ति-एक पद की मांग भी उठी, जिससे पार्टी में असमंजस की स्थिति बन गई थी।
मालूम हो, जुलाई में प्रस्तावित मानसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की लिखित सूचना देने का आश्वासन भी दिया था। मगर एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कांग्रेस की ओर से इस संबंध पत्र नहीं भेजा गया।
हालांकि विधानसभा सचिवालय ने कांग्रेस नेताओं से हुई चर्चा के बाद नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ की तख्ती उनके कक्ष के बाहर लगवा दी थी। बताया जाता है कि विधानसभा सचिवालय में कांग्रेस नेताओं ने टेलीफोन से फॉरमेट को लेकर कई बार पूछताछ भी की थी।
पिछले दिनों विधानसभा द्वारा समितियों के गठन को लेकर कांग्रेस विधायक दल से नाम मांगे गए, तब भी इसे लेकर बात उठी थी।
23वें नेता प्रतिपक्ष होंगे कमल नाथ
मप्र विधानसभा में अब तक 22वें नेता प्रतिपक्ष हो चुके हैं, लेकिन कई लोगों का कार्यकाल दो या इससे भी ज्यादा रहा है। कमल नाथ को मिलाकर अब तक 16 नेता यह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
वीरेंद्र कुमार सकलेचा सबसे ज्यादा तीन बार नेता प्रतिपक्ष रहे, जबकि कैलाश जोशी, श्यामाचरण शुक्ल, जमुना देवी और अजय सिंह दो-दो बार नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। कमल नाथ सरकार के समय गोपाल भार्गव को भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष बनाया था।