मप्र में अब ‘स्क्रब टाइफस’ ने खड़ी की नई चुनौती

मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी और डेंगू के बीच एक और बीमारी ने दस्तक दे दी है , यह नई बीमारी है स्क्रब टाइफस। इस बीमारी का बच्चों पर खतरा ज्यादा है। एक बच्चे की मौत के मामले ने तो स्वास्थ्य महकमे के भी कान खड़े कर दिए हैं।

पिछले दिनों रायसेन जिले में एक बच्चा स्क्रब टाइफस नामक बीमारी की गिरफ्त में आया था, उसे जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती कराया गया, मगर उसकी जान नहीं बचाई जा सकी थी। यह बीमारी शुरू में वायरल बुखार जैसी लगती है मगर बाद में यह गंभीर रूप ले लेती है।

चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो यह बीमारी शुरूआत में वायरल बुखार जैसी लगती है। यह बीमारी रिकेटसिया नाम के जीवाणु से फैलती है। यह जीवाणु आमतौर पर पिस्सुओं में पाया जाता है और यह पिस्सू जंगली चूहों से होते हुए इंसान तक पहुंचते हैं।

जबलपुर की चिकित्सक डॉ. रितु गुप्ता की माने तो लार्वा माइट्स के काटने के 10 दिनों में ही इस बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं। शुरू में ठंड के साथ तेज बुखार आता है और शरीर के साथ मांस पेशियों में भी दर्द होने लगता है।

बीमारी बढ़ने पर जिस स्थान पर लार्वा माइट्स काटता है, वहां गहरे लाल रंग का चकत्ता बन जाता है और उस पर पपड़ी जम जाती है। हालत बिगड़ने पर तो मरीज कोमा तक में चला जाता है।

चिकित्सकों की मानें तो इस बीमारी के चलते दिल, गुर्दा, श्वासन और पाचन प्रणाली प्रभावित होती है, कई बार नर्वस सिस्टम भी फेल हो जाता है। यह बीमारी आमतौर पर जुलाई से अक्टूबर के बीच अपना असर दिखाती है मगर यह इंसान से इंसान में नहीं फैलती।

जानकारों की मानें तो यह बीमारी ठंडे और पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, इसका पता लगाने के लिए खून की जांच आवष्यक होती है। कई बार तो मरीज एक से दो सप्ताह में ही ठीक हो जाता है और लक्षण भी खत्म हो जाते हैं।

यह बीमारी इंसान से इंसान में नहीं फैलती मगर बचाव के लिए जरुरी है कि जल भराव न होने दें, खेतों में काम करते वक्त शरीर को ढक कर रखें। इस बीमारी से बच्चों के बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग किया जाए, साथ ही उनके ष्षरीर को ढककर रखा जाना जरुरी है।

राज्य में डेंगू का भी खतरा बना हुआ है। इस बीच स्क्रब टाइफस की दस्तक ने स्वास्थ्य महकमें की चुनौतियां बढ़ा दी है।

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