प्रदेश के 55 हजार गांवों की आबादी भूमि के सर्वे और सीमांकन के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र की सर्वे ऑफ इंडिया के साथ गुरुवार को करार किया। इसके तहत नक्शे बनाने के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल होगा। इससे सीमांकन के विवादों को सुलझाने में मदद तो मिलेगी ही ग्रामीण क्षेत्र में आबादी का नक्शा भी तैयार होगा। मौजूदा व्यवस्था में घनी होने के कारण आबादी क्षेत्र की तस्वीर स्पष्ट नजर नहीं आती है। नई व्यवस्था में नक्शे बड़े बनेंगे और उसमें छोटी से छोटी चीज को देखा जा सकेगा।
‘नवदुनिया” ने चार दिसंबर को ‘गांवों की आबादी भूमि का होगा सर्वे, रिकॉर्ड में दिखेगा भू-स्वामी अधिकार” शीर्षक से प्रकाशित खबर में आबादी भूमि का सर्वे कराए जाने की तैयारी का खुलासा किया था।
राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की मौजूदगी में राजस्व विभाग ने केंद्र सरकार के सर्वे ऑफ इंडिया के साथ एमओयू किया था। वहीं, एमपी ऑनलाइन के साथ भी करार किया गया, क्योंकि इसके केंद्र पूरे प्रदेश में हैं। राजपूत ने बताया कि नक्शे बनाने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया प्रदेश में पहली बार ड्रोन तकनीक का उपयोग करेगा।
अभी आम आदमी के पास भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज, आबादी क्षेत्र का नक्शा एवं अधिकार अभिलेख नहीं हैं। इसकी वजह से अवैध निर्माण, बिक्री, सीमांकन के विवाद और अतिक्रमण जैसी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है। मौजूदा नक्शों में घनी आबादी की स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाना संभव नहीं हो पाता है। इसके लिए अब आबादी क्षेत्र का नक्शा बड़े स्केल पर बनवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में सबसे अधिक आवेदन सीमांकन से जुड़े होते हैं। फसल, खराब मौसम एवं कुशल चेनमैन के अभाव में भूमि का मूल्य निर्धारण और सीमांकन में कठिनाई होती है। इससे निजात पाने के लिए आधुनिक तरीके का इस्तेमाल होगा। इसके लिए सर्वे ऑफ इंडिया से कंटीन्यूशली ऑपरेटिंग रिफरेंस स्टेशन (सीओआरएस) के क्रियान्वयन को लेकर करार पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान सर्वे ऑफ इंडिया, राजस्व विभाग और एमपी ऑनलाइन के अधिकारी मौजूद थे।