मप्र कांग्रेस में ‘भेदियों’ से घबराहट


मध्यप्रदेश कांग्रेस में भाजपा के बजाय अपने दल के ‘भेदियों’ से असुरक्षा और घबराहट कहीं ज्यादा है। पार्टी के सत्ता में आए एक साल से ज्यादा वक्त हो जाने के बाद भी कांग्रेस नेताओं में भेदियों से असुरक्षा बनी हुई है। यही कारण है कि राज्य सरकार की मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी और विधायक आरिफ मसूद ने खुलेआम भेदियों पर निशाना साधा है।

राज्य में कांग्रेस डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई है। सत्ता में हुए बदलाव के बाद बड़े पैमाने पर भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा। बीच में तो कुछ दल बदलू नेताओं के पार्टी संगठन में पद हासिल करने की बातें भी सामने आईं। अब राज्य में निगम-मंडलों सहित अन्य नियुक्तियां होने वाली हैं और वही लोग जोर लगाए हुए हैं। ऐसे लोगों की निष्ठा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी ने तो कांग्रेस के कई नेताओं को बिना नाम लिए फूलछाप कांग्रेसी तक कह डाला। उन्होंने महेश्वर में आयोजित कार्यक्रम में कहा, “ये फूलछाप कांग्रेसी कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं। इन फूलछाप कांग्रेसियों से सावधान रहें, मगर इनसे डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपकी बहन आपके साथ है। ऐसे लोग आदिवासियों का शोषण करके बड़े आदमी बन गए हैं। ऐसे नकली कांग्रेसी ही क्षेत्र को खोखला करने का काम कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “कुछ भेड़िए खाल पहनकर शेर बन गए हैं, लेकिन वो भेड़िए ही रहेंगे, शेरनी से मुकाबला नहीं कर सकते।”

इसी तरह नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रतलाम में चल रहे धरना प्रदर्शन में भोपाल से कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने कांग्रेसियों पर ही हमला बोला। उन्होंने कहा, “मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से हुई चर्चा में उन्होंने मुझसे कहा कि इस आंदोलन का रुख दूसरी तरफ जा रहा है और भाजपा इसका फायदा उठा रही है। तब मैंने मुख्यमंत्री से कह दिया कि आपके कांग्रेस नेता ही भाजपा के पल्लू में छुपे हैं, इसलिए यह आंदोलन बिगड़ रहा है।”

मसूद ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि अब उन नेताओं की बातों में मत आना, जब कांग्रेसी आपके पास वोट मांगने आएं तो उनसे सवाल जरूर पूछना कि आंदोलन चल रहा था, तब वे कहां थे?

कांग्रेस नेताओं के बयान पर कमल नाथ सरकार के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि कांग्रेस में अपनी बात कहने की आजादी है, इसलिए नेता अपनी बात कह रहे हैं। जिन नेताओं ने यह बात कही है उन्हें उन नेताओं के नाम भी बताने चाहिए, ताकि ऐसे फूलछाप नेताओं को पार्टी से निकालने के लिए प्रदेश महासचिव दीपक बावरिया से अनुरोध किया जा सके।

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