मनमोहन ने बताया- मंदी की जड़ में क्या है? उबरने के लिए दिए 5 मंत्र


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार कह रहे हैं कि देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और अर्थव्यवस्था एक खतरनाक मंदी के बीच फंस गई है. सरकार का पहला कदम तो ये होना चाहिए कि वो माने कि देश संकट का सामना कर रहा है.

आप किसी से बात कीजिए, हर कोई यही कहता है कि इकनॉमी बद से बदतर हालत में जा रही है. मौजूदा स्थिति की खतरनाक बात ये है कि सरकार इस बात से बेपरवाह है वो मानने को ही तैयार नहीं है कि हम मंदी के बीच फंस गए हैं.

इस साल की पहली तिमाही में नेशनल इनकम ग्रोथ रेट घटकर 5% पर आ गई. पिछले पांच तिमाहियों में ये लगातार घट रहा है. इससे मुझे याद आती है 2008 की, जब हमारी सरकार थी. वैश्विक मंदी के कारण हमारे सामने चुनौती थी.हमने चुनौती का सामना किया और उसे मौके में बदला.

कांग्रेस की एक मीटिंग के बाद हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह ने कहा कि रियल एस्टेस से मैन्युफेक्चरिंग तक हर सेक्टर में स्लोडाउन है. अगर हालात नहीं बदले तो सबसे बुरा असर रोजगार पर पड़ेगा. अगर इनकम लगातार कई महीने तक घटी तो युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के अवसर कम हो जाएंगे. ग्रोथ रेट लगातार पांच तिमाही से नीचे जा रही है और अब 5% पर आ गई है. सबसे खतरनाक बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी पांच साल की बीजेपी सरकार में बढ़ी ही नहीं है.

रियल एस्टेट करोड़ों लोगों से जुड़ा है
मनमोहन सिंह ने कहा, इस साल के पहले छह महीने में सिर्फ महानगरों में ही 4.5 लाख घर बनकर तैयार हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदने वाला नहीं है. अगर रियल एस्टेट में मंदी है तो रोजगार नहीं मिलते. रुपया कमजोर से कमजोर होता जा रहा है. इसका फायदा उठाकर निर्यात बढ़ा सकते थे. लेकिन बीजेपी सरकार के पांच सालों में निर्यात बढ़े नहीं है, नतीजा ये है कि देनदारी बढ़ी है. आज माहौल है कि निवेश नहीं हो रहा है.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मनमोहन के 5 मंत्र
इससे पहले दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार के अप्रोच में फोकस गायब है. हेडलाइन बनाने की आदत पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी विशेषज्ञों और पक्षों की बात को खुले दिमाग से सुनना चाहिए. इसी इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने इकनॉमी को पटरी पर लाने के 5 तरीके भी सुझाए

टैक्स का थोड़ा नुकसान हो तो भी जीएसटी को सही किया जाना चाहिए
कृषि बाजार को खोलने से लोगों के पास पैसा आ सकता है. साथ ही ग्रामीण खपत को बढ़ाने और एग्रीकल्चर सेक्टर के ग्रोथ के नए तरीके खोजने होंगे
कैपिटल फॉर्मेशन के लिए कर्ज की कमी दूर करनी होगी
नौकरी देने वाले सेक्टरों पर काम करने की जरूरत है. इसके लिए MSME को बढ़ावा देने की जरूरत
अमेरिका-चीन ट्रेडवॉर के दौर में बाजार को पहचाने जाने की जरूरत है

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