मध्य प्रदेश की 85 प्रतिशत अदालतों में सुरक्षा इंतजामों की कमी

मध्य प्रदेश न्यायाधीश एसोसिएशन ने कहा है कि राज्य की हर जिला अदालत में जजों और अन्य कोर्ट स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थायी पुलिस चौकी और पर्याप्त बल होना चाहिए।

एसोसिएशन को जानकारी मिली है कि मध्य प्रदेश में लगभग 85 प्रतिशत जिला और सत्र न्यायालयों में सुरक्षा उद्देश्यों के लिए स्थायी या अस्थायी पुलिस चौकी नहीं है।

राज्य की 52 जिला अदालतों में से, देवास जिला अदालत में एक स्थायी पुलिस चौकी है और सात अन्य जबलपुर, भोपाल, दमोह, पन्ना, सागर, शिवपुरी और सिंगरौली में अस्थायी चौकी हैं।

एक हलफनामे में मध्य प्रदेश पुलिस ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि केवल देवास जिला अदालत में एक स्थायी पुलिस चौकी है और वहां जिला बल के आठ पुलिस कर्मी और पांच होमगार्ड जवान तैनात हैं।

राज्य पुलिस ने आगे बताया कि जबलपुर जिला अदालत परिसर में अस्थायी चौकी पर अधिकतम 29 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, जिसमें जिला पुलिसबल के 24 और विशेष सुरक्षा बल के पांच जवान शामिल हैं। भोपाल जिला न्यायालय की अस्थाई चौकी पर जिला पुलिस बल के मात्र तीन जवान तैनात हैं।

राज्य पुलिस ने अपने हलफनामे में अदालत को बताया कि दमोह जिला अदालत परिसर की चौकी में जिला पुलिस का एक जवान और होमगार्ड का पांच जवान तैनात हैं। इसी तरह पन्ना जिला अदालत में विशेष बल के पांच जवान तैनात हैं।

सागर जिला न्यायालय की चौकी पर जिला बल के चार जवानों को तैनात किया गया है। शिवपुरी में जिला पुलिस के पांच जवान तैनात हैं और सिंगरौली जिला अदालत में अस्थायी पुलिस चौकी में विशेष जिला बल का एक जवान और होमगार्ड का एक जवान तैनात है।

राज्य पुलिस की यह दलील उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों और अदालत के अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर दायर एक याचिका के जवाब में आई है।

मध्य प्रदेश न्यायाधीश एसोसिएशन के वकील और इस मामले में याचिकाकर्ता सुयश ठाकुर ने कहा, न्यायाधीश अदालतों में मामलों की सुनवाई के बाद निर्णय की घोषणा करते हैं और सुरक्षा के ²ष्टिकोण से राज्य की प्रत्येक जिला अदालत में एक स्थायी पुलिस चौकी और पर्याप्त बल तैनात किया जाना चाहिए।

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