मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव का शोर धीरे-धीरे पड़ने लगा है और गांव की चौपाल से लेकर गली मोहल्लों तक उम्मीदवारों की रेलम पेल है।
राज्य में पंचायत चुनाव गैर-दलीय आधार पर हो रहे हैं। यह चुनाव तीन चरणों में होने वाले हैं और उम्मीदवारों के लिए चुनाव चिन्ह आवंटित किए जा चुके हैं। यही कारण है कि उम्मीदवारों ने घर-घर दस्तक देना शुरू कर दिया है।
पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी तय होने के बाद उम्मीदवार और उनके समर्थक सक्रिय हैं। चौपालों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है तो मतदाताओं को रिझाने की हर संभव कोशिशें तेज हो गई हैं।
पंचायत चुनाव में राजनीतिक दलों का चुनाव चिन्ह भले न हो, मगर नेताओं का दखल पूरा है, क्योंकि कई बड़े नेताओं के नाते रिश्तेदार मैदान में उतरे हैं। जो राजनेता सक्षम थे, उन्होंने अपने नाते रिश्तेदारों के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों से नामांकन वापस तक करा लिए हैं। सियासी गलियारों में यह चर्चा हर तरफ है।
गांव में चुनावी रंग धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। गालियांे से लेकर गांव में प्रवेश करते ही यह संकेत मिलने लगते हैं कि गांव की सरकार चुनने के लिए चुनाव आ गए हैं। तरह-तरह के वादे किए जाने वाले पोस्टर लगे हैं तो वहीं मतदाताओं से सीधे संपर्क कर उम्मीदवार गांव और क्षेत्र की तस्वीर बदलने के वादे किए जा रहे हैं।