नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना से दिल्ली मुलाकात की। इस दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच कई अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों ने आईटी, अंतरिक्ष और न्यूकिलर एनर्जी जैसे सेक्टर में भी सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया। बता दें कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चार दिनों के भारत दौरे पर हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया। पीएम मोदी ने कहा, ‘आज बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास भागीदार है और इस क्षेत्र में हमारा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। लोगों के बीच सहयोग में निरंतर सुधार हो रहा है।’
अंतरिक्ष और न्यूकिलर एनर्जी को लेकर समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हमने आईटी, अंतरिक्ष और न्यूकिलर एनर्जी जैसे सेक्टर में भी सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले वर्ष हमने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ, हमारे डिप्लोमैटिक संबंधों की स्वर्ण जयंती, शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी एक साथ मनाई थी. मुझे विश्वास है कि अगले 25 साल के अमृत काल में बार-बांग्लादेश की मित्रता नई ऊंचाईयां छुएगी।’
पीएम मोदी ने कहा, ‘आज हमने कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा. ऐसी 54 नदियां हैं जो भारत-बांग्लादेश सीमा से गुजरती हैं और सदियों से दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी रही हैं. ये नदियां इनके बारे में लोक-कहानियां, लोक-गीत, हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत के भी साक्षी रहे हैं।
उधर दूसरी तरफ़ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा, ‘अगले 25 वर्षों के लिए अमृत काल की मैं शुभकामनाएं देती हूं, क्योंकि भारत आत्मानिर्भर भारत के लिए किए गए प्रस्तावों को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। मैं भारत लगभग 3 साल के बाद आ रही हूं, मैं भारत का धन्यावाद करती हूं और हमारे बीच आगे एक सकारात्मक प्रस्तावों की अपेक्षा करती हूं।’
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद का भारत की राजधानी दिल्ली से गहरा और अटूट रिश्ता है, जिसे वह शायद ही कभी भुला पाएं। शेख हसीना को अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दिनों में भारत का सहारा मिला था। दिल्ली में उन्होंने कई साल गुजारे थे। ये उन दिनों की बात है, जब शेख हसीना का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। तब शेख हसीना ने शायद ही कभी सोचा होगा कि एक दिन वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनकर भारत आएंगी। ये भी एक वजह है कि भारत और बांग्लोदश के बीच संबंध गहरे होते जा रहे हैं।
शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं। 15 अगस्त 1975 को मुजीबुर्रहमान, उनकी मां, तीन भाइयों और परिवार के दूसरे सदस्यों को बांगलादेश सेना के कुछ अधिकारियों ने कत्ल कर दिया गया था। इस दिन शेख हसीन बांग्लादेश में नहीं थीं, इसलिए वह बच गईं। बांग्लादेश में जब ये खूनी खेल खेला गया, तब शेख हसीना अपने पति और बच्चों के साथ जर्मनी में थी। इस घटना के बाद शेख हसीना का बांग्लोदश जाना सुरक्षित नहीं था। ऐसे में भारत ने शेख हसीना को राजनीतिक शरण दी थी। ऐसे में 1975 से 1981 तक शेख हसीना का दिल्ली हो गया। शेख हसीना इस बात को कहती भी हैं कि दिल्ली उनका दूसरा घर है।
मालूम हो कि शेख हसीना भारत में राजनीतिक शरण के दौरान वह पहले दिल्ली के लाजपत नगर पार्ट-3 में रहीं। इसके बाद वह पंडारा रोड में शिफ्ट हो गईं। इसके बाद पंडारा रोड में शिफ्ट करने से पहले शेख हसीना 56, लाजपत नगर-पार्ट तीन में भी रही थीं। दिल्ली में रहते हुए शेख हसीना के प्रणब मुखर्जी के परिवार से बेहद करीबी संबंध बन गए थे। शुभ्रा मुखर्जी से उनकी खूब पटती थी। वह प्रणब मुखर्जी के तालकटोरा रोड वाले घर में लगातार जाती थीं। तब दोनों परिवारों के बच्चे भी करीब आए। 1981 में बांग्लादेश लौटने के बाद शेख हसीना जब कभी भारत आईं, तो प्रणब मुखर्जी के घर मिलने जरूर जाया करती थीं।
बता दें कि शेख हसीना जब दिल्ली में रहा करती थीं, तब उन्होंने आल इंडिया रेडियो की बांग्ला सर्विस में भी काम किया था। आर्ट, म्यूजिक और लिटरेचर में गहरी रुचि रही है। शेख हसीना के पिता शेख मुजीब से इंदिरा की अच्छी दोस्ती थी। शेख हसीना के पति एम ए वाजिद मियां भारत में एटॉमिक एनर्जी कमीशन में रिसर्च भी किया था।
-डॉ. शाहिद सिद्दीक़ी
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