भारत ने सीएबी पर यूएससीआईआरएफ की टिप्पणी को ‘अनावश्यक’ बताया


भारत ने नागरिकता(संशोधन) विधेयक(सीएबी) पर अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग(यूएससीआईआरएफ) द्वारा दिए गए बयान को ‘अनावश्यक और गलत’ बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक बयान में कहा, “लोकसभा में सोमवार आधी रात विधेयक पारित हुआ, जो ‘कुछ विशिष्ट देशों में प्रताड़ित किए गए और पहले से ही भारत में मौजूद अल्पसंख्यकों को तत्काल भारतीय नागरिकता देने पर विचार करता है.”

उन्होंने कहा कि विधेयक ‘उनकी मौजूदा कठिनाइयों का समाधान करता है और उन्हें मूलभूत मानवाधिकार मुहैया कराता है.’

बयान के अनुसार, “ऐसी पहल का स्वागत करना चाहिए और उनके द्वारा विरोध नहीं किया जाना चाहिए, जो सच में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध हैं.”

उन्होंने कहा कि सीएबी ‘नागरिकता चाहने वाले किसी भी समुदाय के लिए मौजूदा नियमों में अवरोध पैदा नहीं करता है.’

ऐसी नागरिकता देने के हालिया रिकॉर्ड इस संबंध में भारत सरकार की निष्पक्षता की पुष्टि करते हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि न ही सीएबी और न ही राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर प्रक्रिया किसी भी धर्मावलंबी से नागरिकता छीनने की वकालत करती है और इस बाबत मिल रहे सुझाव दुर्भावना से ‘प्रेरित और अनुचित’ हैं.

बयान के अनुसार, “अमेरिका समेत सभी देशों को अपनी नागरिकता की गणना करने और वैधता प्रदान करने का अधिकार है और विभिन्न नीतियों के जरिए इस प्रक्रिया को जारी रखने का अधिकार है.”

बयान के अनुसार, “यूएससीआईआरएफ द्वारा स्पष्ट किया गया पक्ष इसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए आश्चर्यचकित करने वाला नहीं है. यह हालांकि काफी खेदजनक है कि संगठन ने मामले में केवल अपने पूर्वाग्रहों और पक्षपात पूर्ण रवैये से आगे बढ़ना चाहा, जिसके बारे में उसे बहुत कम जानकारी है और उसे हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.”

यूएससीआईआरएफ ने सोमवार को कहा कि ‘विधेयक में धार्मिक मानदंडों को देखते हुए’ नागरिकता(संशोधन) विधेयक(सीएबी) का पारित होना परेशान करने वाला है.

संगठन ने कहा कि अगर सीएबी संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया, तो अमेरिका सरकार को ‘गृहमंत्री और अन्य प्रमुख नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचना चाहिए.’

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