जी20 सम्मेलन का पहला दिन, शामिल हुए कुल 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, लेकिन इस अंतराष्ट्रीय मंच पर किसी भी देश ने यूक्रेन मुद्दे पर रूस को आड़े हाथों नहीं लिया. हालांकि, जंग पर चर्चा हुई है. बैठक में शामिल देशों ने, ‘बल पूर्वक यूक्रेन के क्षेत्रों पर अधिकार करने से परहेज करने की बात कही है.’ बैठक की पूर्व संध्या पर बैठक की अध्यक्षता कर रहे पीएम की आह्वान पर, ‘दिल्ली घोषणा पत्र’ को स्वीकार किया गया है.
क्या है घोषणा पत्र में
मेजबान देश भारत ने जी20 घोषणा पत्र जारी किया है, इसे ‘दिल्ली घोषणा पत्र’ भी कहा जा रहा है. इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा गया है, ‘हमने यूएनएससी और यूएनजीए में अपनाए गए देश के रुख और प्रस्तावों को दोहराया. परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि, जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है.’
इस घोषणापत्र में आगे कहा गया है, ‘हम सभी राज्यों (देशों) से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं. हम… यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत करते हैं.’
काला सागर में आवाजाही सुनिश्चित हो
घोषणा पत्र में, वैश्विक अनाज की निर्यात को लेकर भी बात की गई है. कहा गया है कि, ‘यूक्रेन और रूस से अनाज, भोजन और उर्वरक के सुरक्षित प्रवाह के लिए काला सागर में जहाजों की आवाजाही सुनिश्चित की जाए. मॉस्को ने जुलाई में इस समझौते से हाथ खींच लिया था. उसका आरोप था कि खाद्य और उर्वरक निर्यात के लिए नियमों को आसान बनाने वाले समझौते उसकी मांगों को पूरा करने में विफल रहे हैं.’