भारत और मध्य एशियाई देशों की तीसरी वार्ता शनिवार से शुरू हो रही है।इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच करोबार, संपर्क और विकास सहयोग को और मजबूत बनाने को लेकर चर्चा होनी है, साथ ही आपसी हितों से जुड़े क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, तीन दिवसीय भारत-मध्य एशिया वार्ता की मेज़बानी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे। इस बैठक में पांच देशों तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री शामिल होंगे।
जयशंकर इस साल पहले ही कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का दौरा कर चुके हैं और अक्टूबर में तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री से भी मिले थे।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया, ‘भारत-मध्य एशिया वार्ता की वार्षिक बैठक का आयोजन मित्रता, विश्वास और आपसी समझ की भावना से सभी सदस्य देशों के बीच अधिक से अधिक जुड़ाव का प्रतीक है। सभी पांच देशों के विदेश मंत्रियों का संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करने का भी कार्यक्रम है।
हालांकि, इससे पहले भारत और मध्य एशियाई देशों की दूसरी बैठक अक्टूबर में डिजिटल माध्यम से हुई थी। और अब तीसरी बैठक आज शनिवार यानि 18 से 20 दिसंबर तक चलेगी। जिसमें सभी देश आपकी हितों से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे. तीन दिवसीय भारत-मध्य एशिया वार्ता में अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति चर्चा का प्रमुख विषय होगी।
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ मध्य एशियाई देशों के महत्व को मजबूत किया है।
ये देश अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं।इससे पहले तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने नवंबर में अफगानिस्तान पर भारत की मेजबानी वाली क्षेत्रीय वार्ता में भाग लिया था। इस कार्यक्रम में ईरान और रूस के एनएसए की भागीदारी भी देखी गई थी।